लांचिग के बाद अब कहां तक पहुंच गया Chandrayaan-3, ISRO ने शेयर की लोकेशन

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चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने अपनी लांचिग के बाद पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलता के साथ पूरी कर ली है। यानि की चंद्रयान ने अपनी पहली कक्षा बदल ली है। भारतीय अतंरिक्ष शोध संगठन (ISRO) ने सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए बताया कि चंद्रयान की हेल्थ वर्तमान में बिल्कुल सामान्य है। 5 दिनों तक लंबे ऑर्बिट में यात्रा करने के बाद 5 या 6 अगस्त को चंद्रयान-3 लूनर ऑर्बिट के इंसर्शन स्टेज में पहुंच जायेगा। इसरो के वैज्ञानिक इसकी कक्षा से संबंधित डेटा का आंकलन कर रहे हैं। जब 5 या 6 अगस्त को चंद्रयान-3 लूनर ऑर्बिट इंसर्शन स्टेज में होगा। तब इसके प्रोपल्शन सिस्टम को ऑन किया जाएगा। जिसके बाद इसे आगे की और धकेला जाएगा। यह इसरो के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण साबित होगा।

सफल लैंडिंग के लिए कम की जाएगी गति

प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर को चंद्रमा की 100X30 किलोमीटर की कक्षा में लाया जाएगा। इसके लिए De-Boosting करनी होगी| यानी उसकी गति कम करने का यह काम 23 अगस्त को किया जाएगा। इसी क्षण के दौरान ISRO के वैज्ञानिकों की सांसें थमी रहेंगी. क्योंकि वैज्ञानिकों के लिए यह सबसे कठिन वक्त होगा। और यहीं से विक्रम लैंडर की लैंडिंग की प्रक्रिया शुरु होगी।

लैंडिंग के क्षेत्रफल को बढ़ाया गया

इस बार चंद्रयान-3 की लांचिग से पहले लैंड करने वाले विक्रम लैंडर के चारों पैरों की ताकत को बढ़ाया गया है। साथ ही नई तकनीक के  सेंसर्स लगाए गए हैं। बेहतरीन क्वालिटी का सोलर पैनल लगाया गया है। साथ ही पिछली बार चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट का क्षेत्रफल 500X 500 मीटर को चुना गया था। ISRO विक्रम लैंडर को मध्य में उतारना चाहता था। कम क्षेत्रफल होने के कारण विक्रम लैंडर की लैंडिंग फेल हो गया था। लेकिन इस बार लैंडिंग का क्षेत्रफल 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर तक बढ़ाया गया है। यानि इस चार गुणा बढ़ाए गए इलाके में चंद्रयान-3 का विक्रम लैंड कर सकता हैं।

 

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