Khatu Shyam Mela 2023: परवान पर बाबा श्याम का लक्खी मेला, श्याम बाबा के दीदार के लिए पहुंचे लाखों भक्त

खाटूश्यामजी में बाबा श्याम का फाल्गुनी लक्खी मेला अपने पुरे परवान पर है. जिसे आप इन तस्वीरों में देख भी सकते हैं. जिसमें लाखों की संख्या में लोग सिर्फ खाटूश्यामजी बाबा के जयकारे लगा रहे है.

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Khatu Shyam Mela 2023: खाटूश्यामजी में बाबा श्याम (Khatu Shyam Mela) का फाल्गुनी लक्खी मेला अपने पुरे परवान पर है. जिसे आप इन तस्वीरों में देख भी सकते हैं. जिसमें लाखों की संख्या में लोग सिर्फ खाटूश्यामजी बाबा के जयकारे लगा रहे है.

लाखों की संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु

लाखों की संख्या में कतार लगाते दिख रहे लोग सिर्फ खाटूशेयामजी (Khatu Shyam Mela) के दीदार के लिए यहां आए है. दिन हो चाहें रात सब बाबा की एक झलक के लिए दूर-दूर से आए हैं. आपको बता दें कि खाटूश्याम बाबा (Khatu Shyam Mela) के दर्शन 24 घंटे निरंतर चल रहे हैं. वहीं सुगम व्यवस्था के चलते भक्तों को भी आसानी से बाबा के दर्शन हो रहे हैं.

 

रंग बिरंगे फूलों से सजा खाटूश्याम

तस्वीरों में जो आप रंग बिरंगे फूलों से सजा देख रहे हैं ये वहीं खाटूश्या बाबा (Khatu Shyam Mela) हैं, जो हारे का सहारा है, इनके ही एक दीदार के लिए लाखों की संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से आ रहे हैं. आपको बता दे कि खाटूश्यामजी (Khatu Shyam Mela) में विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम के वार्षिक फाल्गुनी लक्खी मेला पूरे परवान पर है. देश-विदेश के कोने-कोने से लाखों श्याम भक्त जत्थे के रूप में बाबा के दीदार करने पहुंच रहे हैं. वहीं मंदिर कमेटी की ओर से बाबा श्याम का हर दिन कोलकाता (Kolkata), दिल्ली (Delhi), बेंगलुरु (Bengaluru) के रंग बिरंगे विशेष फूलों से श्रृंगार किया जाता है.

ऐसे बने हारे का सहारा

खाटूश्याम बाबा (Khatu Shyam ) का असली नाम बर्बरीक है. बाबा खाटू श्याम (Khatu Shyam) घटोत्कच और नागकन्या मौरवी के बेटे हैं. पांचों पांडवों में सर्वाधिक शक्तिशाली भीम और उनकी पत्नी हिडिम्बा बर्बरीक (बाबा श्याम) के दादा दादी थे. ऐसा कहा जाता है कि जन्म के समय बाबा श्याम के बाल बब्बर शेर के समान थे. तभी उनका नाम बर्बरीक रखा गया. महाभारत की एक कहानी के अनुसार बर्बरीक का सिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नगर में दफना दिया गया था. जिसके बाद बर्बरीक जी का नाम बाबा खाटू श्याम के नाम से जगत में प्रसिद्ध हुआ

शिव ने दिया था आशीर्वाद

बर्बरीक अपने बचपन में एक वीर और तेजस्वी थे. बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण और अपनी मां मौरवी से युद्धकला, कौशल और अद्भुद्ध कला को सीखकर सीखी थी. बाबा श्याम ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, तब भगवन शिव ने अपने आशीर्वाद के बाद बर्बरीक को 3 चमत्कारी बाण दिए थे. जिसकी बाद बर्बरीक का नाम तीन बाणधारी के नाम से भी प्रसिद्द हुआ. अग्निदेव भगवान ने बर्बरीक को एक दिव्य धनुष भी दिया था. जिससे बर्बरीक तीनो लोको में विजय प्राप्त करने में समर्थ भी थे. जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध होने का खबर बर्बरीक को मिली तो उन्होंने भी उस युद्ध में लड़ने का निर्णय लिया. बर्बरीक ने अपनी मां का आशीर्वाद लिया और युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देने का वचन देकर वहां से निकल पड़े. बर्बरीक के इसी वचनो के कारण. ‘हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा’ ये बात जगत में प्रसिद्ध हुई

ऐसे नहीं कर पाए युद्ध

हारने वाले का सहारा बनने की बात कौरवों को पता थी. जिसके चलते कौरवों ने पहले दिन युद्ध कम सेना के साथ युद्ध लड़ा जिससे ये लगे की वे युद्ध हार रहे हैं. जिसके बाद श्री कृष्ण ने रास्ते में ब्राह्मण का रूप धारण कर बर्बरीक से मिले और दान में उनका सिर मांग लिया. जहां बर्बरीक ने श्री कृष्ण से असली रूप दिखाकर उन्हें अपने वचन के चलते अपना सिर दे दिया. इस तरह वे महाभारत में युद्ध नहीं कर सके. लेकिन श्री कृष्ण ने भी अपना वचन निभाते हुए बर्बरीक के सिर को 14 देवियों की ओर से अमृत से सींचकर युद्धभूमि के पास एक पहाड़ी पर रख दिया. जहां से बर्बरीक युद्ध को देखा.

कृष्ण की लीला अपरम पार

हारे का सहारा बाबा श्याम महारा खाटू श्याम बाबा अगर दान नहीं करते तो आज महाभारत की कहानी कुछ और ही होती. लेकिन भगवान श्री कृष्ण की लीला सपसे अपरम पार है. इसलिए आज खाटूश्याम बाबा को लोग दूर-दूर से पूजने आते है. जो जगत में हारा उसका खाटू श्याम सहारा

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