Jamia Violence Case: विरोध प्रदर्शन को हिंसक प्रदर्शन में बदलने वाले शरजील केस से हुए बरी

जामिया के छात्र शरजील इमाम पर लगे देशद्रोह और दंगे भड़काने का आरोप है। दिल्ली पुलिस ने 2019 में ही सरजील के खिलाफ केस दर्ज कर दिया था। इस केस अलावा भी सरजील पर लगभग आधा दर्जन केस लंबित हैं।

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Jamia Violence Case Update: फिलहाल जेएनयू के छात्र शरजील इमाम को दिल्ली (Delhi) की अदालत ने जामिया हिंसा (Jamia Violence) केस से बरी कर दिया है। आपको बता दें कि शरजील (Sharjeel) के खिलाफ दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने 2019 में ही मुकदमा दर्ज कर दिया है। इस मुक़दमे में शरजील पर दंगा भड़काने और लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप था। हालांकि कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली (Delhi) इस संबंध में पुख्ता प्रमाण नहीं पेश कर पाई। ऐसे में अदालत ने इस केस में संदेह का लाभ देते हुए शरजील (Sharjeel) को बरी कर दिया है।

केस डायरी के अनुसार नागरिकता कानून का देश भर में जमकर विरोध किया गया। उन पर ये भी आरोप लगा कि शरजील इमाम ने दिल्ली (Delhi) के जामिया इलाके में समुदाय विशेष के लोगों के बीच भावनात्मक भाषण दिया। शरजील इमाम (Sharjeel Imam) ने सोशल मीडिया पर भी भड़काऊ बयान दिए थे। उन पर आरोप लगा कि इन्हीं भाषणों की वजह से विरोध प्रदर्शन ने हिंसक प्रदर्शन का रूप ले लिया था। इस के आरोप में शरजील इमाम को दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने बिहार (Bihar) के जहानाबाद (Jehanabad) से गिरफ्तार कर लिया था।

वायरल वीडियो में ये कहते सुने गए

केस डायरी के अनुसार शरजील इमाम (Sharjeel Imam) के बयान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें इसी वीडियो के आधार पर उन्हें देश विरोधी बयानबाजी करने का आरोप लगा था। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के अनुसार शरजील (Sharjeel Imam) के इस वायरल वीडियो की वजह से दिल्ली में दंगा भड़क गया था। जब पुलिस ने इस वीडियो की प्रारंभिक जांच की तो पता लगा कि यह वीडियो 16 जनवरी को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवसिर्टी में रिकार्ड हुआ था। उस समय शरजील इमाम ने एएमयू (AMU) में सार्वजनिक तौर पर भाषण दिए थे।

ये धाराएं लगी थीं इमाम पर

निचली अदालत ने पिछले साल शरजील इमाम के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 124 A (राजद्रोह), 153 A (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153 B (राष्ट्रीय एकता के विरूद्ध कृत्य), 505 (शरारत के उद्देश्य से दिया गया बयान) और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, इमाम ने कथित तौर पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी भाषण दिया था। जहां उसने असम और शेष पूर्वोत्तर को भारत से काट देने की धमकी भी दी थी।

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