Uttar Pradesh News:जात-पात का दानव फिर उग्र: धार्मिक आयोजन में दलित प्रचारक पर हमला”

उत्तर प्रदेश के एटावा जिले में एक चौंकाने वाला जातिगत हमला सामने आया है, जब एक धार्मिक कार्य (भगवद कथा) कराने आए हिन्दू प्रचारक को कथित रूप से ‘ब्राह्मण नहीं’ कहकर जमकर पीटा गया। यह घटना उस समय प्रकाश में आई जब उन्होंने अपना यदव धर्म बताने पर पुरातन फलसफे के अनुयायियों द्वारा उपहास और हिंसा का शिकार होना पड़ा।

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Uttar Pradesh News: घटना का पूरा सच
कथित रूप से, एटावा के किसी गाँव में पढ़ाने गए प्रचारक को भगवद कथा के लिये स्थानीय बस्ती में बुलाया गया था। जब उन्होंने अपने को यदव जाति से सम्बंधित बताया, तो उसे कुछ स्थानीय युवकों ने ‘ब्राह्मण नहीं हो’ कहकर न सिर्फ गालियाँ दीं, बल्कि चप्पलों से मार पीट की। वे उसे अपने घर से बाहर खींचकर ले गए और सिर मुंडवाया, बालों में घूंघट झाड़ा गया और जोर जबरन अपमानित किया गया। उसके साथ छेड़छाड़ और सामान फोड़-फोड़कर भगवा रंग से गंदा किया गया—इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

एससी/एसटी कानून के तहत पुलिस ने FIR दर्ज कर स्थानीय स्तर पर 5–10 लोगों के खिलाफ नामजद और अज्ञात आरोपी के रूप में कार्रवाई शुरू की है। अधिकारियों का कहना है कि पोस्ट – घटना स्थल का वीडियो वायरल होते ही उन्हें कार्रवाई के निर्देश मिले हैं।

पृष्ठभूमि और सन्दर्भ
जातिगत हिंसा और SC/ST एक्ट
इस प्रकार के हमले उत्तर प्रदेश में अक्सर देखने को मिलते हैं—जैसे हाल ही में जातिगत गाली-गलौज के बाद एक हेयर सैलून में व्यवसायी को पीटने की घटना एटावा में दर्ज हुई थी, जिसमें जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल हुआ था और पुलिस ने SC/ST कानून के अंतर्गत मामला दर्ज किया था।

दलित–यादव संघर्ष और सामुदायिक तनाव
इसी जिले (सैफई क्षेत्र) में एक दलित युवक की यदव महिला से प्रेम कहानी की वजह से हुई हिंसा के पश्चात उनके परिवारों को पलायन तक करना पड़ा था—जिसके बाद पुलिस ने दबाव में उन्हें वापस बुलाकर सुरक्षा प्रदान की थी ।

जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया
पुलिस अधीक्षक ने आश्वासन दिया है कि आरोपियों की पहचान के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं और इसे जातिगत हिंसा मानकर SC/ST अधिनियम समेत अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। साथ ही, पोस्ट वायरल होते ही थाना स्तरीय और जिला स्तर की दोनों टीमें घटनास्थल पर उतार दी गयीं।

Uttar Pradesh News: सामाजिक-राजनीतिक पहलू
इस प्रकार की घटना न केवल जाति के नाम पर बहिष्कार बल्कि धार्मिक गतिरोध को भी दर्शाती है। ऐसी चीजें समाज में घटती रहती हैं, जैसे कि वही हेयर सैलून विवाद और दलित–यादव हिंसा, जो जातिगत विभाजन और सांप्रदायिक तनाव की समस्या को उजागर करते हैं।

निष्कर्ष
यह हमला जातिगत कट्टरता एवं धार्मिक कार्यों के बहाने किए गए उत्पीड़न का बेमिसाल उदाहरण है। हमें उम्मीद है कि प्रशासन समय रहते सख्त कार्रवाई करेगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर कड़ी रोक लगे और सहिष्णुता स्थापित हो।

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