तीन महीने पहले Ajit Pawar द्वारा बुलाई गई सीक्रेट मीटिंग से शुरू हुई थी NCP में बगावत की कहानी

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Maharashtra Politics News: महाराष्ट्र की सियासी उठापटक से पहले लिखी गई स्क्रिप्ट्स के पन्ने अब खुलने लग गये हैं। पहले शिवसेना और अब एनसीपी में हुई बगावतों ने दोनों पार्टियों के सियासी समीकरणों को बदल कर रख दिया हैं। उम्मीद के मुताबिक 2024 में राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं। लेकिन पार्टियों में हुई इस तोड़फोड़ का असर देश की जनता को आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता हैं। वहीं अजित पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ लेने के बाद अब एनसीपी दो फाड़ हो चुकी है। शिवसेना की तरह ही अजित पवार ने चाचा शरद पवार की एनसीपी पर दावा कर दिया है. वहीं शरद पवार ने स्वंय को पार्टी का प्रमुख बताया हैं। पार्टी का सिंबल किसके साथ जायेगा ये देखने वाली बात होगी।

अजित पवार ने बैठक में की थी इन मुद्दों पर चर्चा

सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक बैठक में दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई। जिसमें एक था, ईडी का लगातार कसता शिकंजा। शुरूआत में 11 अप्रैल को हुई अजित पवार की बैठक में इस बात पर गहन चर्चा हुई कि प्रवर्तन निदेशालय का पार्टी के अधिकतर नेताओं पर शिकंजा कसता जा रहा हैं। ऐसे में शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद पार्टी के कई नेताओं ने शरद पवार को शिंदे सरकार के साथ शामिल होने की अपील की थी।

शरद पवार ने अजित पवार को सौंपा था यह जिम्मा

जानकारी के मुताबिक, इन सभी नेताओं 11 अप्रैल को शरद पवार को अपनी चिंता बताई। जिन पर 11 अप्रैल को अजित पवार के घर पर इन मुद्दों को लेकर चर्चा हुई थी। चर्चा के बाद फिर से शरद पवार  1 मई को अपनी पत्नी प्रतिभा पवार और सुप्रिया सुले के साथ अजित पवार से मिले. शरद पवार ने उन्हें जानकारी दी, कि वह अगले दिन यानि दो मई को अपना इस्तीफा की बात कही। दरअसल, पार्टी नेताओं ने पहले ही सुझाव दिया था, कि सुप्रिया को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए और अजित पवाक को महाराष्ट्र पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए जिम्मा दिया जाए। शरद पवार की इस बात पर अजित पवार सहमत हो गए.

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