गर्भपात पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- मां के चाहने पर नहीं बंद करवा सकते गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज(12 अक्टूबर) को गर्भ में पल रहे बच्चे के अधिकार पर अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि जब गर्भपात के लिए कानून में तय समय सीमा पूरी हो चुकी हो और बच्चा गर्भ में स्वस्थ हो, तो सिर्फ परिवार के चाहने पर उसकी धड़कन बंद कर देना सही नहीं है.

कोर्ट ने दिया महिला को सलाह

कोर्ट ने 26 हफ्ते की गर्भवती विवाहित महिला को सलाह दी कि वह कुछ हफ्ते और इंतेजार कर बच्चे को जन्म दे. चूंकि, सरकार बच्चे का लालन- पालन करने को तैयार है, इसलिए जन्म के बाद उसे सरकार को सौंप दिया जाए. मामले की सुनवाई आज (गुरुवार, 12 अक्टूबर) पूरी नहीं हो पायी. कोर्ट ने इसे शुक्रवार (13 अक्टूबर) को दोबारा सुनवाई की तारीख देते हुए माता-पिता, उनके वकील और केंद्र सरकार की वकील को आपस में बात कर समाधान निकालने को कहा है.

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डॉक्टर ने क्या कहा?

पहले से 2 बच्चों की मां ने अपनी मानसिक और पारिवारिक समस्याओं का हवाला देते हुए गर्भ गिराने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की बेंच ने 9 अक्टूबर को एम्स में महिला को भर्ती कर गर्भपात की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था. लेकिन 10 अक्टूबर को एम्स के एक विशेषज्ञ डॉक्टर ने केंद्र सरकार की वकील को ईमेल भेज कर बताया कि बच्चा गर्भ में स्वास्थ है.
अगर उसे मां के गर्भ से बाहर निकाला गया, तो उसके जीवित बाहर आने की संभावना है. ऐसे में गर्भपात के लिए पहले ही उसकी सासें बंद करनी होगी. डॉक्टर ने यह भी कहा कि अगर बच्चे को अभी बाहर निकाल कर जीवित रखा गया, तो वह शारिरिक और मानसिक रूप से अपाहिज हो सकता है. डॉक्टर की इस रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अबॉर्शन का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया.कल मामले को दोबारा सुना जाएगा.

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