Supreme Court: सर्वोच्च न्यायलय ने अपने लैंगिक रुढ़िवादिता हैंडबुक में सेक्स वर्कर शब्द को बदलने का निर्णय लिया है. देश की शीर्ष अदालत ने एंटी ट्रैफिकिंग एनजीओ के एक समूह द्वारा चिंता जताने के बाद यह निर्णय लिया है. सेक्स वर्कर की जगह अधिक सभ्य भाषा का उपयोग किया जाएगा. क्योंकि सेक्स वर्कर शब्द लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देता है.
एनजीओ समूह ने लिखा पत्र
बता दें कि ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम कर रहे एनजीओ समूह द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को इस संबंध में एक पत्र लिख कर बताया गया था. जिसके बाद सर्वोच्च न्यायलय ने लैंगिक रुढ़िवादिता पर अपने हैंडबुक से सेक्स वर्कर की जगह ‘तस्करी की शिकार/सरवाइवर या व्यावसायिक यौन गतिविधि में लगी महिला या व्यावसायिक यौन शोषण के लिए मजबूर महिला’ जैसे शब्दों को यूज करने का निर्णय लिया. इस संबंध में चीफ जस्टिस का कहना है कि वेश्या या सेक्स वर्कर जैसे शब्द का उपयोग भी लैंगिक रुढ़िवादिता को बढ़ावा दे सकता है.
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सेक्स वर्कर” शब्द पर पुनर्विचार
मानव तस्करी विरोधी एनजीओ के बैनर तले एक ग्रुप ने अगस्त 2023 में अदालत द्वारा प्रकाशित “हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स” में रखी गई शब्दावली में “सेक्स वर्कर” शब्द के उपयोग पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया था. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार, सीआरपी, अनुराग भास्कर ने एआरजेड एनजीओ को एक ईमेल में बताया कि सीजेआई ने बदलाव को स्वीकार कर लिया है. इसी साल अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए जानेवाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लाने के लिए एक हैंडबुक लॉन्च किया था.
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