क्या रूसी मिसाइलों की यूक्रेन युध्द में नाकामी के कारण भारत फ्रांस से कर रहा है, अधिक डिफेंस डील!

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भारत और फ्रांस की दोस्ती सदियों पुरानी है. एक वक्त था मुश्किल हालातों के समय जब सभी बड़े देशों ने भारत का साथ छोड़ दिया था। लेकिन फ्रांस मुसीबत के समय भी अकेले भारत के साथ खड़ा रहा। लेकिन सवाल यह है कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चलती आ रही  इस दोस्ती की वजह क्या है? भारत के प्रधानमंत्री Narendra Modi बुधवार को फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गर्मजोशी से गले लगाकर पीएम मोदी का अभिवादन स्वीकार किया। 2009 के बाद फिर कोई भारतीय प्रधानमंत्री सम्मानित अतिथि के तौर पर परेड में शामिल हुए। प्रधानमंत्री मोदी का सम्मानित अतिथि के तौर पर शामिल होना भारत और फ्रांस के लंबे द्विपक्षीय संबंधों की ताकत और गहराई को फिर पेश करने का एक अच्छा मौका बताया जा रहा है।

लंबे समय से चलती आ रही दोस्ती

आपको बता दें, कि फ्रांस और भारत के बीच 1998 में एक रणनीतिक साझेदारी स्थापित हुई थी। लेकिन पिछले एक दशक में संबंधों ने फिर से मजबूत जोर पकड़ लिया है. इस दोस्ती में रक्षा व्यापार संबंध को सबसे अहम माना जा रहा है. बता दें, कि फ्रांस को रूस के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता देश माना जाता हैं। पीएम मोदी से पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह 2009 की परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। इस परेड की शुरुआत भारतीय सेनाओं की तीनों टुकड़ियों ने ‘सारे जहां से अच्छा’ और ‘कदम कदम बढ़ाए जा’ राष्ट्रभक्ति गीत गा कर की थी। उस समय फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी थे।

फ्रांस भारत का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता

भारत और फ्रांस के बीच के रक्षा रिश्तें काफी पुराने समय से काफी मजबूत हैं। आजादी के बाद से ही फ्रांस रूस के बाद सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता देश हैं। पिछले एक वर्ष से अधिक समय से चल रहे रूस-यूक्रेन में रूसी हथियारों का कमजोर पड़ना एक चुनौतीपूर्ण वक्त रहा हैं। इससे भारत की फ्रांस से हो रही डिफेंस डील उस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं। पिछले वर्ष भी फ्रांस से भारत में रॉफेल लड़ाकू विमानों की एक खेप भारतीय सेना में शामिल की गई थी।

 

 

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