High Airfare: देश में महंगाई अपने चरम पर है, देश का हर तबका महंगाई से परेशान है. महंगाई के इस बाढ़ में विमानन कंपनियां भी अपना हाथ धोने में लग गई है. एयरलाइन्स के बढ़ते दामों को देखते हुए राज्यसभा के प्रश्नकाल के दौरान आज इस सवाल को उठाया गया. जिसपर जवाब देते हुए नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री वी के सिंह ने कहा कि हवाई किराये को सरकार रेगुलेट नहीं करती है और नाही करने का इरादा है. उन्होंने कहा कि हवाई किराया को बढ़ने का काम विमानन कंपनियो का है, वो सारा कुछ देखते हुए पैसा बढाती है।
हवाई किराये का उठा मुद्दा
राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा ने प्रश्नकाल के दौरान नागरिक उडडयन मंत्री से प्रश्न पूछा कि क्या सरकार को जानकारी है कि व्यस्त और सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले कमर्शियल रूट्स का हवाई किराया पूरी दुनिया में सबसे महंगा भारत में है? ऐसे में क्या सरकार हवाई किराया को रेग्यूलेट करने पर विचार कर रही है? उन्होंने सरकार से कहा कि जिस प्रकार दिल्ली-मुंबई रूट का किराया महंगा हुआ है क्या इससे हर सेक्टर पर असर पड़ा है।
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किराया रेग्यूलेट नहीं करती सरकार
सवालों का उत्तर देते हुए मंत्री वी के सिंह ने कहा कि हवाई किराया ना तो सरकार तय करती है और ना उसे रेग्यूलेट करती है. एयर ट्रांसपोर्ट से जुड़ी कंपनियां खुद तय करती है. उन्होंने कहा कि एयरलाइंस नियमों के तहत कंपनिया उचित हवाई किराया वसूलने के लिए स्वतंत्र है. नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री वी के सिंह ने संसद में बताया कि हाल के दिनों में कुछ सेक्टर्स में हवाई किराये बढ़ने की वजह सीजन और डिमांड-सप्लाई दिक्कतें हैं. साथ ही हवाई ईंधन के महंगे होने के चलते भी किराया महंगा हुआ है।
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