गणतंत्र दिवस परेड के लिए राष्ट्रपति ने की बग्घी से कर्तव्य पथ पर प्रवेश, जानिए इससे जुड़ा खास राज
Republic Day Parade: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 75वें गणतंत्र दिवस परेड के लिए एक ऐतिहासिक बग्घी से कर्तव्य पथ पर प्रवेश किया। यह बग्घी 1950 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एक टॉस में भारत ने जीती थी। बग्घी को ब्रिटिश राज के दौरान दिल्ली के लिए बनाई गई थी और इसे एक बार पाकिस्तान के गवर्नर जनरल ने इस्तेमाल किया था।
राष्ट्रपति मुर्मू की बग्घी को भारतीय सेना की घुड़सवारों की पलटन ने खींचा था। उनके साथ गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन भी थे।
राष्ट्रपति मुर्मू की बग्घी से कर्तव्य पथ पर पहुंचने का मतलब
राष्ट्रपति मुर्मू की बग्घी से कर्तव्य पथ पर पहुंचने का एक प्रतीकात्मक अर्थ था। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता था। राष्ट्रपति मुर्मू की बग्घी को भारतीय सेना की घुड़सवारों की पलटन ने खींचा था। उनके साथ गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन भी थे।
राष्ट्रपति मुर्मू की बग्घी से कर्तव्य पथ पर पहुंचने का एक प्रतीकात्मक अर्थ था। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता था।
2014 में प्रणब मुखर्जी ने फिर से शुरू की थी बग्घी का इस्तेमाल
2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फिर से भारत की ऐतिहासिक बग्घी का इस्तेमाल शुरू किया। यह बग्घी ब्रिटिश राज के दौरान बनाई गई थी। पहली बार 1950 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गणतंत्र दिवस पर इसका इस्तेमाल किया था। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, राष्ट्रपति की सुरक्षा को देखते हुए इस बग्घी का इस्तेमाल बंद कर दिया गया था। 2014 में, प्रणब मुखर्जी ने बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इस बग्घी का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि यह बग्घी भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है।