समलैंगिक विवाह पर Supreme Court ने 3-2 से दिया फैसला, मान्यता देने से किया इनकार, सरकार को कमेटी बनाने का निर्देश
Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने 3-2 से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इंकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने 11 मई को समलैंगिक विवाह पर सुनवाई पूरी कर ली थी. जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय में 18 समलैंगिक जोड़ों ने याचिका दायर किया था. समलैंगिक जोड़ों ने याचिका में मांग कि थी की बाकि विवाहों की तरह उन्हें भी कानूनी मान्यता दिया जाए. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज (17 अक्टूबर) को फैसला सुनते हुए कहा कि कानून बनाना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. संसद इस पर कमेटी बना कर समलैंगिकों को उनका अधिकार दें.
The Supreme Court on 17.10.2023 refused to grant legal recognition for queer marriages in India. However, four out of the five judges on the bench agreed to direct the Union of India to constitute a committee to examine the rights and entitlements of persons in queer union,… pic.twitter.com/jrZGCF84Dc
— Live Law (@LiveLawIndia) October 17, 2023
सरकार बनाए कमेटी- सीजेआई
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि केंद्र सरकार को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए एक कमिटी बनाने का प्रस्ताव दिया है. सभी नागरिकों को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है. इसके साथ ही अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीवन एक मौलिक अधिकार है. हालांकि, यह सही है कि कुछ मामलों में साथी चुनने के अधिकार पर कानूनी रोक है, जैसे प्रतिबंधित संबंधों में शादी. उन्होंने आगे कहा कि समलैंगिक तबके को भी अपने साथी के साथ रहने का अधिकार उसी तरह है, जैसे दूसरों को है.
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केंद्र और राज्य सरकारों को सीजेआई ने दिए निर्देश
- समलैंगिक जोड़ों के साथ भेदभाव न हो ये केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें.
- नागरिकों को उनके प्रति जागरूक करें.
- उन लोगों की सहायता के लिए हेल्पलाइन बनाएं.
- किसी बच्चे का सेक्स चेंज ऑपरेशन तभी हो, जब वह इसके बारे में समझने योग्य हो जाए.
- किसी को जबरन सेक्स प्रवृत्ति में बदलाव वाला हॉरमोन न दिया जाए.
- पुलिस ऐसे जोड़ों की सहायता करे.
- उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ परिवार के पास लौटने के लिए मजबूर न किया जाए.
- ऐसे जोड़ों के खिलाफ FIR प्राथमिक जांच के बाद ही दर्ज हो.
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