Story of UPI Revolution in India : भारत में UPI रेवोल्यूशन की कहानी

आसान भाषा में समझाते हैं की UPI कैसे काम करता है. पहले हमे बैंक से पैसे निकालने के लिए बैंक को रिक्वेस्ट देने होती थी. जिसके बाद हम NEFT, RTGS के साथ कई माध्यम से पैसे भेज सकते थे. ये काफी जटिल और समय लेने वाला प्रोसेस था. लेकिन यूपीआई आने के बाद ये ऐप्स आपके लिए बैंक को रिक्वेस्ट भेज पैसा ले सकते है और किसी को दे भी सकते है.

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Story of UPI Revolution in India : 2016 में हमें पेमेंट करने के लिए हमेश पर्स को जेब में लेकर चलना होता था. अगर गलती से पर्स घर भूल आए या चोरी हो जाए तो परेशानी खड़ी हो जाती है. उस समय या तो हमे दुकानदार से उधार करना होता है या सामान वापस लौटना पड़ता है.

2016 के बाद जेब में पर्स रखना बंद !

आज हमे जेब में बिना पर्स के भारत घूम सकते हैं. वो भी सिर्फ हमारे फोन के जरिए. पर फोन तो 2016 से पहले भी थे. लेकिन 2016 में ऐसा क्या हुआ की फोन जेब के पर्स को खा गया. दरअसल 2016 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस लॉन्च किया. जिससे हम आज हर पेमेंट डिजीटल कर सकते हैं.

कैसे काम करता है UPI ?

आसान भाषा में समझाते हैं की UPI कैसे काम करता है. पहले हमे बैंक से पैसे निकालने के लिए बैंक को रिक्वेस्ट देने होती थी. जिसके बाद हम NEFT, RTGS के साथ कई माध्यम से पैसे भेज सकते थे. ये काफी जटिल और समय लेने वाला प्रोसेस था. लेकिन यूपीआई आने के बाद ये ऐप्स आपके लिए बैंक को रिक्वेस्ट भेज पैसा ले सकते है और किसी को दे भी सकते है. ऐसा समझ लीजिए की ये ऐप 24 घंटे आपके लिए फ्री में काम करने वाला एक कार्मचारी है. उदहारण के तौर पर अगर आपको जयपुर बैठकर दिल्ली में पैसा भेजना है तो आपका ये कर्मचारी आपके लिए काम करेगा.

किस नेटवर्क पर काम करता है UPI ?

यूपीआई हमारा IMPS नेटवर्क पर काम करता है. लेन-देन सिक्योर हो इसके लिए ये ड्यूल फैक्टर सिक्योरिटी का इस्तेमाल करता है. ABC@UPI जैसा दिखने वाल आईडी आपका VPA यानी आपका वर्चुअल पेमेंट एड्रेस है. ये आपके मोबाइल नंबर के साथ आपके बैंक से लिंक होता है.

UPI से पहले कैसे होता का डिजिटल पेमेंट ?

2011 में पूरे साल में 1 व्यक्ति के पूरे साल में लगभग 6 डिजिटल लेन-देन (Digital Transactions) होते थे. ये लेन-देन कार्ड पेमेंट के जरिए होती थी. लेकिन कार्ड पेमेंट कभी भी बाजार में पूरी तरह से अपनाए नहीं गए. जिसकी कई वजह है. लेकिन सबसे बड़ी वजह ये है कि पेमेंट करने के लिए आपको IFSC, ACCOUNT NUMBER के साथ कई निजी जानकारी चाहिए होती थी. जो काफी जटिल और समय खपाने वाला काम था. इसके अलावा अगर मर्चेंट ट्रांजेक्शन किया तो उसे 2 प्रतिशत मास्टर कार्ड, विजा जैसी कंपनियों को देना होता था. जो छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी रकम थी.

UPI क्रांतिकारी साबित हुआ

यूपीआई (UPI) आने के बाद भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन के आंकड़ों ने आसमान छू लिया. जहां अप्रैल 2020 में 2 करोड़ से ज्यादा, अप्रैल 2021 में 4 करोड़ से ज्यादा, वहीं अक्टूबर 2021 में 7 करोड़ से ज्यादा वहीं 2023 में 12.83 लाख करोड़ यूपीआई ट्रांजेक्शन किए गए थे. जिसका मतलब है की 76 प्रतिशत से ज्यादा भरतीय ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल करते है.

 

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