Rising Lion Operation: “राइजिंग लायन ऑपरेशन” : इजरायल का धमाकेदार जवाब !

13 जून 2025 की रात इतिहास में एक ऐसे दिन के रूप में दर्ज हो गई, जब मध्य-पूर्व में तनाव ने एक नया रूप ले लिया। इज़राइल ने ईरान के खिलाफ बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिनका उद्देश्य ईरानी परमाणु और सैन्य ढांचे को कमजोर करना था। यह कार्रवाई इज़राइल की अब तक की सबसे बड़ी सैन्य जवाबी कार्रवाई मानी जा रही है।

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Rising Lion Operation: हमले का दायरा और तैयारी
इज़राइल की वायुसेना ने लगभग 200 से अधिक विमानों के साथ यह अभियान चलाया। हमले के मुख्य निशाने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े केंद्र थे, जिनमें नतांज़ और इस्फहान जैसे शहर प्रमुख थे। इसके अलावा, सैन्य कमांड ठिकानों और मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स को भी निशाना बनाया गया।

यह अभियान महीनों की तैयारी का नतीजा बताया जा रहा है, जिसमें गुप्तचर एजेंसी मोसाद की सूचनाओं की बड़ी भूमिका थी।

ईरानी पक्ष पर असर
ईरान ने प्रारंभिक प्रतिक्रिया में स्वीकार किया कि उसके कुछ सैन्य ठिकानों को क्षति पहुँची है, हालांकि उसने इज़राइल के हमले को “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” करार दिया है। ईरान की ओर से जवाबी कार्रवाई में दर्जनों ड्रोन और मिसाइलें इज़राइल की ओर भेजी गईं, जिन्हें इज़राइली रक्षा प्रणाली “आयरन डोम” ने निष्क्रिय कर दिया।

दुनिया की प्रतिक्रिया
इस तनावपूर्ण स्थिति पर दुनिया भर से प्रतिक्रियाएँ आईं। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। अमेरिका ने इज़राइल के “सुरक्षा अधिकार” का समर्थन किया, जबकि रूस और चीन ने स्थिति को “गंभीर और अस्थिर करने वाला” बताया।

Rising Lion Operation: तेल बाजार और वैश्विक असर
इस टकराव का असर वैश्विक बाजारों पर भी पड़ा है। कच्चे तेल की कीमतों में अचानक 7% तक की वृद्धि देखी गई, जिससे दुनिया भर में आर्थिक चिंता का माहौल बन गया है।

क्या युद्ध की ओर बढ़ रहा है मामला?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं, बल्कि एक संकेत है कि इज़राइल अब अपने सुरक्षा खतरे को टालने के लिए और अधिक आक्रामक रणनीति अपना सकता है। वहीं, ईरान ने चेतावनी दी है कि यदि फिर से हमला हुआ तो उसका जवाब “ऐतिहासिक रूप से कठोर” होगा।

निष्कर्ष
इज़राइल और ईरान के बीच जारी यह संघर्ष अब एक संवेदनशील मोड़ पर पहुंच चुका है। जहां एक ओर कूटनीति की संभावना कम होती दिख रही है, वहीं दूसरी ओर दोनों देशों की सशस्त्र सेनाएँ पूरी तरह सजग हैं। आने वाले कुछ दिन यह तय करेंगे कि यह टकराव किसी व्यापक युद्ध में तब्दील होता है या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के ज़रिये थमता है।

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