World Boxing: 16 साल बाद फिर रचा इतिहास, एक दिन में भारत ने जीते दो गोल्ड 

बॉक्सिंग में पुरुषों के अलावा अब महिला भी अपना नाम रोशन कर रही हैं. जिसकी एक बानगी नीतू, स्वीटी ने दिखा दी है. इन महिलाओं ने दिखा दिया कि महिला चौका, चूल्हा, गृहणियों बनने के अलावा भी कई काम कर सकती है. महिला भी पुरुषों से कंधे से कंधा मिलकार चल सकती है.

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World Boxing: बॉक्सिंग में पुरुषों के अलावा अब महिला भी अपना नाम रोशन कर रही हैं. जिसकी एक बानगी नीतू (Nitu Ghanghas), स्वीटी (Saweety Boora) ने दिखा दी है. इन महिलाओं ने दिखा दिया कि महिला चौका, चूल्हा, गृहणीयां (House Wife) बनने के अलावा भी कई काम कर सकती है. महिला भी पुरुषों से कंधे से कंधा मिलकार चल सकती है.

मुक्केबाजों ने रचा इतीहास सचा

महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप यानी WBC में भारतीय मुक्केबाजों में नीतू (Nitu Ghanghas) और स्वीटी (Saweety Boora) शानदार प्रदर्शन किया. जहां उन्होंने गोल्ड जीतकर इतीहास सच दिया. विजेता नीतू घनघस (Nitu Ghanghas) ने 48 किलो में ये खिताब जीता है. वहीं दूसरी ओर अनुभवी मुक्केबाज स्वीटी  (Saweety Boora) बूरा ने 81 किलो में गोल्ड मेडल जीता है.

दोनों ने किया शानदार प्रदर्शन

इस मैच में नीतू (Nitu Ghanghas) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए मंगोलिया की लुतसाईखान अल्तानसेतसेग (Lutsaikhan Altantsetseg) को फाइनल मुकाबले में 5-0 से हराकर स्वर्ण अपने नाम किया है. वहीं 30 साल की स्वीटी ने लाइट हेवीवेट वर्ग में चीन की वांग लिना (Wang Lina) की पछाड़ते हुए 4-3 से जीत दर्ज कर भारत को दोहरी सफलता दी है.

छठी और सातवी महिला बनी

नीतू (Nitu Ghanghas) और स्वीटी (Saweety Boora) ये खिताब जीतने वाली छठी और सातवीं भारतीय मुक्केबाज महीला बनी हैं. इनसे पहले छह बार की चैम्पियन एमसी मैरीकॉम (Mary Kom) , सरिता देवी (सरिता देवी), जेनी आर एल, लेखा केसी (Lekha K. C.) और निकहत जरीन (Nikhat Zareen) मुक्केबाज रहे हैं. इन सभी ने विश्व खिताब जीता है.

16 साल बाद बनाया रिकॉर्ड

दोनों भारतीय महिला मुक्केबाजों ने 16 साल बाद ऐसा रिकॉर्ड बनाया है जहां मुक्केबाजों नो एक ही दिन में दो पदक जीते हैं. इससे पहले भी 2006 में ही दिल्ली में विश्व चैंपियनशिप (World Boxing Championship) में भारतीय मुक्केबाजों ने एक ही दिन चार गोल्ड मेडल जीते थे.

पिता की सहाल पर बनी मुक्केबाज

स्वीटी बूरा (Saweety Boora) पहले एक राज्य स्तर की कबड्डी खिलाड़ी रह चुकी हैं. लेकिन अपने पिता की सलाह पर उन्होंने मुक्केबाजी को अपना भविष्य चुना. जिसके बाद 2009 में 15 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार बॉक्सिंग ट्रेनिंग सेंटर ज्वाइन किया. शुरुआत में स्वीटी को काफी बाधाओं और रिश्तेदारों के विरोध का सामना करना पड़ा. वह जुते हुए खेतों में ट्रेनिंग करती थीं. सालों से बाधाओं के खिलाफ लड़ते हुए स्वीटी ने आखिरकार देश की शीर्ष महिला मुक्केबाजों में से एक बनकर उभरी.

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