सांसदों-विधायकों को सदन में बोलने की पूरी आजादी, Supreme Court ने कहा- ये विशेषाधिकार का मामला

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Supreme Court On MP’s: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (5 अक्टूबर 2023) को संसद में विवादित, अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी और व्यवहार को अपराध के दायरे मे लाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि संसद ऐसी घटनाओं पर खुद कार्रवाई करने में सक्षम है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संसद या विधानसभाओं में राजनीतिक विरोधियों की मानहानि करने के नारों को आपराधिक साजिश का हिस्सा नहीं माना जा सकता है.इसके अलावा इसको कानूनी कार्रवाई में भी लाया जाना ठीक नहीं होगा.

याचिका में कही गई ये बात

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राजु रामचंद्रन ने अपनी याचिका में कहा कि अगर विधानसभा या संसद में किसी प्रतिनिधि द्वारा संसद में कही गई उसकी बातों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कानूनी कार्रवाई कर सकें तो इससे असंसदीय भाषाओं पर लगाम लगाया जा सकेगा. रामचंद्रन ने इस दौरान हाल ही में संसद में घटी बीजेपी सांसद की उस घटना का जिक्र किया जिसमें वह अल्पसंख्यक बसपा सांसद को बूरा भला कहते दिखाई दिए थे.

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सांसद को बोलने का विशेषाधिकार

इस मामले पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच कर रही थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, संजय कुमार और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि सदन के अंदर चुने हुए सदस्य जो कुछ भी बोलते हैं वह उनका विशेषाधिकार है.

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