मणिपुर फिर एक बार झुलसा, सुरक्षाकर्मियों को ले जाने वाली 2 बसों को भीड़ ने लगाया आग
मणिपुर में फिर एक बार प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बालों को निशना बनाया. अधिकारियों ने बताया की जवनों को ले जाने वाली दो गाड़ियों को भीड़ ने आग लगा दिया. ये घटना उस समय हुई जब सुरक्षा कर्मियों की बस को एक समुदाय के लोगो ने सपोरमीना में रोक दिया. भीड़ का कहना था की हम बस की जांच करेंगे कही इसमें किसी दूसरे समुदाय के लोग तोह नही बैठे है. इसके बाद उग्र भीड़ ने बसों को आग लगा दी.
पिछले महीने भी भीड़ ने बनाया था निशाना
लगातार हो रही हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही. पिछले 2 महीनो में सुरक्षा कर्मियों के ऊपर दो हमले हुए हैं. पिछला बार 24 जून को भी भीड़ ने सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाया था. 24 जून को इथम गांव में महिलाओ के नेतृत्व में 1200-1500 लोगों की भीड़ ने 12 उग्रवादियों को छोड़ने के लिए मजबूर किया जिनको पिछले दिनों गिरफ्तार किया गया था. वहीं सेना ने अपने आधिकारिक बयान में कहा की इतनी बड़ी भीड़ को देखते हुए पीछे हटने का फैसला लिया। स्थानीय नेताओ को सौपने का फैसला लिया। सेना मुताबिक विद्रोहियों से बरामद हथियारों को जब्त कर लिया।
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मणिपुर हिंसा की मुख्य वजह
मणिपुर हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद पूर्वोत्तर राज्ये में हिंसा भड़की थी. तब से अब तक लगभग 160 से अधिक लोग मारे जा चुके है वही हजारो लोगो के घायल होने की खबर है. हिंसा की मुख्य वजह कुकी और मैतेई समुदाय के बीच चल रही जातीय लड़ाई। मुख्यतः मैतेई समुदाय इम्फाल घाटी में रहता है. उनकी आबादी 53 प्रतिशत है. जिसके बाद उनकी ये मांग है की उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे में डाला जाएं। जिसके बाद हाई कोर्ट ने उनकी मांगों को मानते हुए उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दे दिया। जिसके बाद उसके विरोध में कुकी समुदाय ने ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया और उसके बाद 3 मई को हिंसा फैली।
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