
Maharashtra News: अंक की अंधी दौड़ में खो गई एक होनहार बेटी: क्या यही है हमारी शिक्षा की जीत?”
महाराष्ट्र के सांगली जिले से आई एक दिल दहला देने वाली खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 17 वर्षीय साधना भोंसले, जिसने दसवीं बोर्ड परीक्षा में 92.6% अंक प्राप्त किए थे, एक प्रतिभाशाली छात्रा थी। लेकिन सिर्फ एक साल बाद, उसे अपने ही पिता की क्रूरता का शिकार बनकर अपनी जान गंवानी पड़ी — वजह सिर्फ इतनी कि वह NEET मॉक टेस्ट में अच्छे अंक नहीं ला पाई।
Maharashtra News: साधना मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) की तैयारी कर रही थी। जब वह एक मॉक टेस्ट में कम अंक लाई, तो उसके पिता धोंदीराम भोंसले, जो स्वयं एक स्कूल शिक्षक हैं, ने गुस्से में आकर उसे बुरी तरह पीट डाला। साधना को सिर पर गंभीर चोटें आईं और उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई।
इस दर्दनाक घटना से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या हम अपने बच्चों को उनकी क्षमताओं और रुचियों के आधार पर आगे बढ़ने दे रहे हैं, या फिर अपनी अधूरी महत्वाकांक्षाएं उन पर थोप रहे हैं? क्या अंक ही बच्चों की काबिलियत का एकमात्र मापदंड है?
साधना की माँ ने इस क्रूरता के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पिता को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने बताया कि जांच जारी है और आरोपी को 24 जून तक पुलिस हिरासत में रखा गया है।
Maharashtra News: यह घटना सिर्फ एक पारिवारिक हिंसा की कहानी नहीं है, यह हमारे समाज के उस विकृत सोच की कहानी है जहाँ माता-पिता अपने बच्चों को सिर्फ “टॉपर” बनाने के लिए इतना दबाव डालते हैं कि वे भूल जाते हैं कि उनके बच्चे पहले इंसान हैं। मानसिक दबाव, डर और हिंसा बच्चों को निखारने के बजाय उन्हें तोड़ देती है।
हमें एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहाँ असफलता को भी सीखने का अवसर माना जाए। बच्चों को नंबर की मशीन नहीं, इंसान बनने दीजिए — वरना हम और कितनी ‘साधनाओं’ को खाएगे ।