Lok Sabha Elections: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय कांग्रेस अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स का मुद्दा उठाकर सुर्खियां बटोरीं हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में विरासत टैक्स की व्यवस्था है इसका अर्थ ये है कि यदि किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसके मरने के बाद उसके बच्चों को केवल 45 फ़ीसदी संपत्ति ही मिलेगी और बाकी का 55 फ़ीसदी सरकार की हो जाएगी। ये काफी दिलचस्प कानून है ये कहता है कि आप अपने दौर में संपत्ति जुटाओ और अब जब आप जा रहे हैं, तो आपको अपनी धन-संपत्ति जनता के लिए छोड़नी होगी, सारी नहीं लेकिन उसकी आधी, जो मेरी नजर में अच्छा है।
सैम पित्रोदा ने अपने बयान पर दी सफाई
सैम पित्रोदा ने कहा कि भारत में आप ऐसा नहीं कर सकते अगर किसी की संपत्ति 10 अरब रुपए है और वह इस दुनिया में न रहे तो उनके बच्चे ही 10 अरब रुपए के मालिक हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता तो ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिस पर लोगों को बहस करनी चाहिए। मैं नहीं जानता कि इसका नतीजा क्या निकलेगा लेकिन जब हम संपत्ति के वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए तरह के प्रोग्राम की बात करते हैं जो जनता के हित में है न कि केवल अमीर लोगों के हित में-
किन देशों में लगता है कितना टैक्स?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि tax federation.org research की रिपोर्ट में पता चला है कि इन 18 देशों में सरकार विरासत टैक्स लेती है।
- जापान में 55 %
- जर्मनी में 30 %
- आइसलैंड में 10 %
- बेल्जियम में 30 %
- फिनलैंड में 19 %
- इटली में 4 %
- स्विट्जरलैंड में 7 %
- डेनमार्क में 15 %
- ग्रीस में 20 %
- साउथ कोरिया में 55 %
- नीदरलैंड में 20 %
- ब्रिटेन में 40 %
- फ्रांस में 45 %
- पोलैंड में 7 %
- आयरलैंड 33 %
- अमेरिका में 40 %
- ब्रिटेन में 40 %
- स्पेन में 34 %
आखिर जानिए कौन हैं सैम पित्रोदा?
भारतीय सूचना क्रांति के नायक कहे जाने वाले सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। 4 मई 1942 को उड़ीसा के तितलागढ़ में जन्मे पित्रोदा एक भारतीय अविष्कारक, कारोबारी और नीति निर्माता हैं वे फिलहाल इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के चेयरमैन हैं। यूपीए सरकार के दौरान पित्रोदा भारतीय प्रधानमंत्री के जन सूचना संरचना और नवप्रवर्तन सलाहकार रह चुके हैं।
1960 और 1970 के दशक में, पित्रोदा ने दूरसंचार और कंप्यूटर के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों के विकास पर काम किया, जहां सैम पित्रोदा के नाम 100 से अधिक बार पेटेंट हैं, वहीं 1984 में, उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पित्रोदा को भारत बुलाया था। भारत लौटने के बाद, उन्होंने घरेलू और विदेशी संचार नीति को निर्देशित करने के लिए राजीव गांधी के सलाहकार के रूप में काम किया था।
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