Kailash Parvat: डमरू और ओम की आवाज, तेजी से बढ़ते हैं बाल और नाखून और कितने रहस्य छिपे हैं कैलाश पर्वत में?

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Kailash Parvat: कैलाश पर्वत, इस एतिहासिक पर्वत को आज तक हम सनातनी भारतीय लोग शिव का निवास स्थान मानते हैं। शास्त्रों में भी यही लिखा गया है कि कैलाश पर शिव का वास है किन्तु वहीं नासा जैसी वैज्ञानिक संस्थानों के लिए कैलाश एक रहस्यमयी जगह है। नासा के साथ-साथ कई रूसी वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत पर अपनी रिपोर्ट दी है। उन सभी का मानना है कि कैलाश वास्तव में कई अलौकिक शक्तियों का केंद्र है विज्ञान यह दावा तो नहीं करता है कि यहां शिव देखे गये हैं किन्तु यह सभी मानते हैं कि, यहां पर कई पवित्र शक्तियां जरूर काम कर रही हैं। तो आइये आज हम आपको कैलाश पर्वत से जुड़े हुए कुछ रहस्य बताते हैं।

कोई नहीं चढ़ सका अब तक

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग चढ़ चुके हैं। जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया, जबकि इसकी ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम है। जो कि अब तक रहस्य बना हुआ है कहा जाता है कि जिसने भी आजतक कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने की कोशिश की वह या तो दिशा भूल गया या उसका (compass) ही खराब हो गया। क्योंकि कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र माना जाता है और यहां दशो दिशाएं आकर मिलती हैं।

डमरू और ओम की आवाज

अगर आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के क्षेत्र में जाएंगे, तो आपको निरंतर एक आवाज सुनाई देगी, जो कि ध्यान से सुनने पर यह आवाज ‘डमरू’ या ‘ॐ’ की आवाज जैसी होती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की हो यह भी हो सकता है।

तेजी से बढ़ते हैं बाल और नाखून

एक पर्वतारोही ने अपनी किताब में लिखा था कि उसने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन इस पर्वत पर रहना असंभव था, क्योंकि वहां शरीर के बाल और नाखून तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा कैलाश पर्वत बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव भी है।

दो सरोवरों का रहस्य

कैलाश पर्वत पर 2 सरोवर हैं मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध और मीठे पानी की झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है और दूसरी तरफ राक्षस ताल है, जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को दर्शाती हैं। ये अभी तक रहस्य है कि एक ही स्थान पर दो झीलें एक दूसरे से इतनी भिन्न क्यों हैं।

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