क्या महाभारत का अश्वत्थामा आज भी जीवित है, जानें कुछ अनसुने रहस्य
महाभारत के दौर का वह योद्धा जिसे मिला अजर अमर रहने का रहने का अभिशाप जिसके कलयुग में होने के तमाम संकेतहम सबको मिले कुछ लोगो इस बात पर विस्वाश करते तो कुछ इन सब बातो को दरकिनार करते लेकिन जितने भी रिसर्च हुई जितने दावे किए उसमें सिर्फ यहीं बात निकल कर सामने आई कीआज भी शिव प्राप्त वरदान के खातिर अश्वथामा जिंदा आज देश के कई कोने वो पूजा अर्चन करने पहुंचते मगर आज तक कोई उनको देख न सका….लेकिन इन सबके बीच हर किसी के जहन में सवाल आता है कि आखिर जब अश्वथामा जिंदा है तो वह रहते कहा…कौन सा एक उनका मूल निवास है…यह सवाल हर किसी के मन में आंशका भी पैदा करता और सोचने पर मजबूर भी करता है…..दरअसल आज आपको हम बातएगे कि अश्वथामा आज भी कहा वास करते है कैसे उन्हे शिव से यह वरदान प्राप्त हुआ कौन सा वो किला जो एक गुफा के रुप में तबद्दील हो चुका है जहा आज भी अश्वथामा आते है….
महाभारत के बारे में जानने वाले लोग अश्वत्थामा के बारे में तो जानते ही होंगे। कहा जाता है कि महाभारत के कई प्रमुख चरित्रों में से एक अश्वत्थामा का वजूद आज भी है। महाभारत के अनुसार, द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम और भगवान शिव के अंशावतार थे। माना जाता है कि अश्वत्थामा आज भी जिंदा हैं और मध्य प्रदेश के एक किले में हर दिन भगवान शिव की पूजा करने आते हैं मान्यता के अनुसार, मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर के ग्वारीघाट नर्मदा नदी के किनारे अश्वत्थामा भटकते रहते हैं। इसके अलावा असीरगढ़ किले में भी इनके भटकने की जानकारी मिलती है… बताते चले कि महाभारत यु्द्ध के दौरानजबद्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की मृत्यु की सत्यता जाननी चाही तो युधिष्ठिर ने जवाब दिया कि अश्वत्थामा मारा गया है, लेकिन मुझे पता नहीं कि वह नर था या हाथी यह सुन गुरु द्रोण पुत्र मोह में शस्त्र त्याग कर युद्धभूमि में बैठ गए और उसी अवसर का लाभ उठाकर पांचाल नरेश द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया…
पिता की मृत्यु ने अश्वत्थामा को विचलित कर दिया। महाभारत के पश्चात जब अश्वत्थामा ने पिता की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए पांडव पुत्रों का वध कर दिया और पांडव वंश के समूल नाश के लिए उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु पुत्र परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने परीक्षित की रक्षा कर दंड स्वरुप अश्वत्थामा के माथे पर लगी मणि निकालकर उन्हें तेजहीन कर दिया और युगों-युगों तक भटकते रहने का श्राप दे दिया था और कहा जाता है तबसे ही अश्वथामा आज कलयुग में भटक रहे है… लेकिन इन सब के बीच यह भी मान्यता है कि आज
भी अश्वथामा अपने पापो का प्रयाशचित करने के लिए शिव की उपासना करते है जिस वजह से आज भी असीरगढ़ किले में एक गुफा में स्थित तालाब में स्नान करके अश्वत्थामा शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करने जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वे उतावली नदी में स्नान करके पूजा के लिए यहां आते हैं। आश्चर्य कि बात यह है कि पहाड़ की चोटी पर बने किले में स्थित यह तालाब बुरहानपुर की तपती गरमी में भी कभी सूखता नहीं। तालाब के थोड़ा आगे गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है। मंदिर चारो तरफ से खाइयों से घिरा है। मान्यता के अनुसार इन्हीं खाइयों में के बीच गए हुए रास्ते में शिव का मंदिर स्तिथ है और आज भी असल मायने में अश्वथामा यही वास करते है.