IIM Calcutta Rape Case : पिता ने झुठलाया आरोप, बेटी को नहीं कोई उत्पीड़न”

कोलकाता, 2025 जुलाई: ताज़ा अपडेट सामने आया है IIM‑कोलकाता स्थित एक छात्रा से जुड़े रेप आरोप में जब इसकी शिकायत दर्ज हुई थी। इस मामले में नया मोड़ तब आया जब पीड़िता के पिता ने बेटी द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी बेटी ने उनसे कहा था कि किसी ने भी उसके साथ छेड़छाड़ या उत्पीड़न नहीं किया।

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IIM Calcutta Rape Case: किस मोड़ पर आया पूरा मामला?
शिकायत और गिरफ्तारी: कोलकाता पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद आरोपी छात्र को गिरफ्तार किया था और धारा 64, 123 के तहत केस दर्ज किया गया है। मामले को अदालत में पेश कर आरोपी को 7 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। अगली सुनवाई 19 जुलाई को निर्धारित हुई है।

पिता का बयान: आरोपित छात्रा के पिता ने खुलेआम कहा कि बेटी ने वही बताया जो सच था—यानी “कोई उत्पीड़न नहीं हुआ”—और यह घटना किसी दुर्घटना या अफवाह मात्र हो सकती है।

अब तक की जांच में क्या सामने आया?
हालांकि अभी यह राज्य पुलिस की प्राथमिक जांच का मामला है, लेकिन कुछ डिजिटल सबूत और मेडिकल रिपोर्टों की मांग तेज़ हुई है ताकि घटना के सही स्वरूप को समझा जा सके:

मेडिकल जांच रिपोर्ट – मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया जाना है कि कोई शारीरिक या यौन उत्पीड़न हुआ है या नहीं।

सीसीटीवी और मोबाइल डेटा – तभी जांच को मोड़ मिलने का संकेत मिलेगा।
कुछ घटनाओं में समय और लोकेशन फीचर्स की मदद से ही सच सामने आया है।

पड़तालः क्या छूट रहे तथ्य?
पहलू सवाल
शिकायत कब दी? समय पर शिकायत दर्ज की गई या देरी हुई?
शरीर जांच और पोस्टमार्टम शारीरिक चोट या चिकित्सा मुआयना हुआ या नहीं?
गवाह और साथी छात्र कोई मित्र या गवाह सामने आया, जिसने कुछ सुना या देखा?
कॉलेज की भूमिका कॉलेज के किसी सदस्य का इसमें सहयोग या लापरवाही किस हद तक रही?

यह जांच नहीं सिर्फ आरोप पर निर्भर होगी, बल्कि सबूतों और जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर भी टिकी होगी।

IIM Calcutta Rape Case: अन्य केसों में मिल रहा है संदर्भ
2024 में रजनीश कर हॉस्पिटल में डॉक्टर रेप‑मर्डर केस के बाद, देशभर में मेडिकल छात्रों को यह एहसास हुआ कि कॉलेज कैंपस में सुरक्षा को लेकर बहुत कम सचेतता थी। इस केस में CBI जांच और फॉरेंसिक रिपोर्ट बेहद निर्णायक साबित हुई थी।

उस घटना के बाद, पश्चिम बंगाल सरकार ने ‘अपराजिता बिल’ पेश किया जिसमें रेप से जुड़े मामलों के लिए फाँसी तक का प्रावधान किया गया।

आज सामने आया IIM‑कोलकाता केस इस नजरिए से भी अहम है कि क्या संस्थान‑स्तर पर यह सुरक्षा और जांच प्रक्रिया पहले से बेहतर बनाई गई है या नहीं।

निष्कर्ष
IIM‑कोलकाता रेप आरोपों से उपजी यह राष्ट्रीय सुर्ख़ियाँ, जब पिता ने खुलकर कहा कि बेटी ने कहा था “कोई उत्पीड़न नहीं हुआ”, तो यह मामला तुरंत संघर्ष में बदल गया—क्या यह धर्म, क्या यह पावर गेम, या संभावित गड़बड़ी?

जांच का अगला दौर अब अदालत, पुलिस, मेडिकल बोर्ड और कॉलेज प्रशासन की पारदर्शिता और चुस्त प्रक्रिया पर अत्यधिक आधारित होगा।

टाइट ब्लॉग में अपडेट्स बने रहें – क्या होगा अगला कदम? कोय साक्ष्य पर लगेगा भरोसा? देश देख रहा है, इस घटना से सीखना चाहिए सभी को।

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