Hindu Mythology: हनुमान जी को कैसे मिला चिरंजीवी होने का वरदान, जानिए इससे जुड़ी रोचक कथा
Hindu Mythology: रामायण कथा में मुख्य भूमिका निभाने वाले हनुमान जी से तो सभी परिचित हैं। सभी हिन्दू घरों में हनुमान जी कि पूजा नियमित रूप से की जाती है। वेद एवं पुराणों के अनुसार, हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना गया है। कई धर्मग्रंथों में भी उनके बारे में लिखा गया है।भगवान शिव के 11 रूद्र अवतारों में हनुमान जी भी एक हैं, जिन्हें चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। ग्रंथो के अनुसार कलयुग में आठ ऐसे देवता हैं, जिन्हें चिरंजीवी का वरदान प्राप्त है, उनमें से एक भगवान हनुमान जी भी हैं। लेकिन एक समय ऐसा था जब हनुमान जी को यह वरदान स्वीकार नहीं था। आइए जानते हैं, कैसे प्राप्त हुआ हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान?
भगवान हनुमान के अवतरण से जुड़ी कथा
शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था और तब भगवान शिव ने माता पार्वती से यह इच्छा जताई की कि वह अपने प्रभु के पास पृथ्वी लोक पर जाना चाहते हैं। माता पार्वती ने व्याकुल होकर उनसे कहा कि यदि वह पृथ्वी पर चले गए तो उनके बिना वह कैसे रह पाएंगी। तब भगवान शिव ने 11 रुद्र अवतारों में से एक हनुमान जी का अवतार धारण किया था।
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क्या है हनुमान जी के चिरंजीवी होने का उद्देश्य?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार अशोक वाटिका में मां सीता को ढूंढने के बाद, माता सीता ने हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था। इसके बाद रावण के विरुद्ध युद्ध में वह श्री राम के मुख्य सहयोगी के रूप में लड़े थे और अयोध्या लौटने के बाद उन्होंने श्री राम के प्रति अपनी भक्ति पूर्ण रूप से निभाई। वह अनन्य भक्त के रूप में हर दिन उनकी सेवा करते थे। लेकिन जब भगवान श्री राम ने वैकुंठ लौटने का विचार किया, तब यह सुनकर हनुमान जी बहुत ही दुखी हो गए और वह माता के पास अपनी व्यथा लेकर पहुंचे।
आज भी धरती पर हैं हनुमान जी
हनुमान जी से माता सीता से कहा कि ‘माता आपने अमर होने का वरदान तो दिया, किंतु यह नहीं बताया कि जब मेरे प्रभु राम धरती से चले जाएंगे, तब मैं क्या करूंगा?’ यह कहते ही मारुतिनंदन वरदान वापस लेने की हठ करने लगे। तब माता सीता ने श्री राम का ध्यान किया और प्रभु प्रकट हुए। भगवान श्री राम ने हनुमान जी को गले लगाते हुए कहा की ‘धरती पर आने वाला कोई भी जीव अमर नहीं है। लेकिन तुम्हें यह वरदान मिला है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब तक इस धरती पर राम का नाम लिया जाएगा, तब तक राम भक्तों का उद्धार तुम ही करोगे। तब हनुमान जी ने अपने हठ को त्याग दिया और इस वरदान को श्री राम की आज्ञा मानकर स्वीकार कर लिया। यही कारण है कि हनुमान जी आज भी धरती पर वास करते हैं और श्री राम के भक्तों का उद्धार करते हैं।
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