Divya Deshmukh Created History: FIDE वूमेन्स वर्ल्ड कप जीतकर बनीं पहली भारतीय चैंपियन

भारतीय शतरंज की दुनिया में एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। युवा ग्रैंडमास्टर दिव्या देशमुख ने FIDE वूमेन्स वर्ल्ड कप फाइनल में अपनी साथी भारतीय खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को हराकर इतिहास रच दिया। यह मुकाबला सोमवार को हुआ और इसमें दिव्या ने टाईब्रेक में 2.5-1.5 की जीत दर्ज कर भारत के लिए यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने का गौरव प्राप्त किया।

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Divya Deshmukh Created History: फाइनल की शुरुआत दो क्लासिकल मैचों से हुई थी, जहां दोनों खिलाड़ियों के बीच 1-1 की बराबर की लड़ाइ रही। इसके बाद मुकाबला फाइनल की ओर गया, जिसमें दो रैपिड गेम्स खेले गए, हर गेम 10 मिनट का था और हर चाल के बाद 10 सेकंड का अतिरिक्त समय भी दिया गया।

पहले रैपिड गेम में दिव्या को सफेद मोहरों से खेलने का अवसर मिला, लेकिन वह इस बढ़त का फायदा नहीं उठा पाईं और मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ। इसके बाद स्कोर 1.5-1.5 रहा और निर्णायक खेल की बारी आई।

दूसरे रैपिड गेम में लंबे समय तक ऐसा लग रहा था कि यह भी ड्रॉ में समाप्त होगा, लेकिन हम्पी की 40वीं चाल में हुई एक चूक ने दिव्या के लिए मौका खोल दिया। इसके बाद दिव्या ने आक्रामक खेल दिखाते हुए हम्पी पर दबाव बनाना शुरू किया।

हम्पी ने डटकर बचाव किया, लेकिन उनकी वह एक चूक इतनी भारी पड़ी कि वह मैच को संभाल नहीं पाईं और अंततः 75वीं चाल पर हार माननी पड़ी। इसके साथ ही दिव्या ने न केवल ट्रॉफी जीती, बल्कि $50,000 (करीब 42 लाख रुपये) की इनामी राशि भी अपने नाम की।

Divya Deshmukh Created History: दिव्या देशमुख की यह जीत न केवल उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है, बल्कि भारतीय शतरंज इतिहास के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है। यह उपलब्धि आने वाले समय में भारतीय युवाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगी।

निष्कर्ष:
दिव्या देशमुख ने यह साबित कर दिया कि उम्र कोई बाधा नहीं होती, अगर आपके पास प्रतिभा, धैर्य और संकल्प हो। यह जीत उनके कठिन परिश्रम और भारतीय शतरंज की उभरती ताकत का प्रतीक है।

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