Supreme Court: दिवाली आते ही हम सब के दिलो दिमाग नए कपड़े, मिठाई की मिठास और पटाखे की गुंज कानो में सुनाई देने लगता है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार(7नवंबर) को कहा कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध का आदेश सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, यह हर राज्य के लिए बाध्यकारी है.
सुप्रिम कोर्ट के इस कथन का असर पूरे देश पर होगा. जिसने वायु एवं ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए 2018 में पारंपरिक पटाखों पर रोक लगा दिया था. अदालत को जब बताया गया कि दिल्ली से लगे राज्यों में पराली जलने से दिल्ली की हवा प्रदुषित हो रही है तो कोर्ट ने मौसम विभाग को पराली जलने पर जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया.
सुप्रिम कोर्ट का कथन
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने राजस्थान सरकार से कहा कि वह दीपावली पर पटाखे चलाने से संबंधित उसके पूर्व के निर्देशों का अनुपालन करे. पीठ ने कहा कि पटाखों के हानिकारक प्रभावों के बारे में सामान्य जन को जागरूक करना महत्वपूर्ण है. आजकल कई बच्चे पटाखे नहीं चलाते, लेकिन बड़े चलाते हैं. यह धारणा गलत है कि जब भी प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण की बात आएगी तो यह अदालत का कर्तव्य है. वायु एवं ध्वनि प्रदूषण का प्रबंधन हर एक इंसान का दायित्व है. इस याचिका में राजस्थान सरकार को दीपावली एवं विवाह समारोहों के दौरान उदयपुर शहर में पटाखों पर रोक लगाने और वायु एवं ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई है.
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विशिष्ट आदेश की आवश्यकता नहीं
पीठ ने याचिका को लंबित रखते हुए कहा कि याचिका पर कोई विशिष्ट आदेश जारी करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अदालत इस पर पहले ही कई आदेश जारी कर चुकी है. यह आदेश राजस्थान समेत सभी राज्यों के लिए बाध्यकारी हैं और राज्य सरकार को सिर्फ त्योहारी मौसम में ही नहीं, बल्कि उसके बाद भी उन पर ध्यान देना चाहिए.
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