इससे पहले 30 सितंबर को न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की पीठ ने समीक्षा याचिका को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. गौरतलब है कि जस्टिस वैष्णव ने सीआईसी के उस ऑर्डर को 31 मार्च को रद्द कर दिया था, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को आरटीआई के तहत अरविंद केजरीवाल को पीएम मोदी की शैक्षिक जानकारी देने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
ये भी पढ़ें- Samantha को याद आए संघर्ष के दिन, बोलीं- ‘शादी टूटने के बाद मेरा काम निचले स्तर पर गया’
पर्सी कविना का दलील
केजरीवाल की ओर से पेश होते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सी कविना ने न्यायमूर्ति वैष्णव के समक्ष दलील दिया कि केजरीवाल हमेशा से ही कार्यवाही को जल्द से जल्द निपटाने की मांग करते थे और केस को लंबा खींचने में उनकी कभी कोई दिलचस्पी नहीं थी. उन्होंने आगे तर्क दिया कि गुजरात यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेज (पीएम मोदी की) डिग्री नहीं है, बल्कि बीए (पार्ट II) परीक्षा के कुछ अंकों का ऑफिस रिकॉर्ड है और यह मामला उनकी एमए डिग्री को लेकर है, न कि बीए डिग्री का. दलील में उन्होंने अपनी इस बात पर जोर दिया कि डिग्री कोई मार्कशीट नहीं है. जबकि यूनिवर्सिटी का यह तर्क कि संबंधित डिग्री इंटरनेट पर पहले से ही मौजूद है, जोकि गलत है.
ये भी पढ़ें- ICC Rankings से छिनी Babar की बादशाहत, Shubman Gill बने वनडे क्रिकेट के नए PRINCE
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘Saugandh TV’ को अभी subscribe करें. आप हमें FACEBOOK,और INSTAGRAM पर भी फॉलो कर सकते हैं.