Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार 15 सितंबर को पत्नी के द्वारा पति पर लगाए गए मानसिक और शारीरिक शोषण के आरोप को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा, पति के द्वारा राज्य में आमबोलचाल में बोले जाने वाली एक मराठी कहावत को ‘तुला अक्कल नहीं, तू येड़ी अहेस’ को मानसिक शोषण नहीं माना जा सकता है. इस कहावत का हिंदी अर्थ है, तुम्हे अक्ल नहीं है, तुम पागल हो.
न्यायधीश नितिन साम्ब्रे और शर्मिला देशमुख की पीठ ने कहा, किसी भी तरीके से यह कहना कि ‘तुला अक्कल नहीं, तू येड़ी अहेस’ जैसे आमबोलचाल को किसी भी स्थिति में मानसिक शोषण नहीं माना जा सकता है. इन शब्दों को गाली की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है. बता दें कि पत्नी ने अदालत से अपील में कहा था कि उसका पति उसका शारीरिक और मानसिक शोषण करता है.
पत्नी ने अदालत में क्या आरोप लगाए थे?
पति पर आरोप लगाते हुए पत्नी ने अदालत में कहा था कि मेरे पति देर रात को घर पर आता है और फिर उनको बेइज्जत करने के इरादे से उन पर चिल्लाता है.अदालत ने कहा, पत्नी ने उन प्रमुख घटनाओं को सही से नहीं बताया है जिनमें ऐसे किसी व्यवहार का पता लगाया जा सके जिसके आधार पर हम कह सके की पति पत्नी का शोषण करता है. अदालत में तलाक मांग रहे इस कपल की शादी 2007 में हुई थी लेकिन शादी के कुछ वक्त बाद ही इनको मतभेदों का सामना करना पड़ा.
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शादी के बाद परिवार से अलग रहने की थी जिद-पति
बता दें कि उस महीला के पति ने आरोप लगाया कि उसका संयुक्त परिवार है और उसने शादी से पहले ही पत्नी को बता दिया था कि वह पूरे परिवार में रहेंगे. लेकिन शादी के कुछ समय बाद उसने इस बात को लेकर शिकायत करनी शुरू कर दी वह परिवार से अलग रहना चाहती है. उन्होंने आरोप लगाया कि पत्नी उनके माता-पिता का सम्मान नहीं करती है और न ही उनकी देखभाल करती है.वहीं दूसरी ओर पत्नी ने पति के परिजनों पर आरोप लगाया है कि मुझे हमेशा अपमानित किया गया है.
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