World Cup 2023: भारत-पाकिस्तान मैच से पहले सट्टेबाजों की दिवाली, जानिए देश में कैसे चलता है सट्टे का बाजार
World Cup 2023: क्रिकेट के महाकुंभ यानी वनडे वर्ल्ड कप 2023 की शुरुआत हो चुकी है. जिसे लेकर क्रिकेट फैंस और दुनियाभर के सटोरिया में एक्साइटमेंट अपने चरम पर है. हर बार की तरह इस बार दुनिया भर के ठग और सट्टेबाज भारत-पाकिस्तान मैच पर बड़ा दांव लगा लगा रहे हैं. बता दें कि भारत-पाक 14 अक्टूबर को अहमदाबाद के नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में खेला जाना है. जिसे लेकर सटोरियों का बाजार सक्रिय हो गया है. भारत में क्रिकेट का सट्टाबाजार इतना बड़ा और इतनी मोटी रकम का है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जायेंगे. आज के दौर में नयी-नयी गेमिंग एप के द्वारा खुलकर इस बाजार को प्रमोट किया जा रहा है ऐसे में लाख कोशिशों के बाद भी सट्टेबाजी के इस नए बिज़नस पर काबू नहीं पाया जा सका है. आज हम आपको क्रिकेट का सट्टा बाजार कैसा है और कैसे चलता है. इसके बारे में बताने जा रहे हैं.
भारत में सट्टेबाजी बना नया व्यापार
भारत का सट्टेबाजी बाजार तीन लाख करोड़ से भी ज्यादा का है और ये लगातार तेजी से बढ़ रहा है. ज्यादातर सट्टेबाजी अंडरवर्ल्ड के माफिया अपराधियों द्वारा चलाया जाता है. जो कि किसी न किसी तरह से खेल और खिलाड़ियों दोनों को अपने तरीके से प्रभावित करने की कोशिश करता है. ऐसे में 14 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान का मैच है जिसमें करोड़ों का सट्टा लगना तय है.
सट्टेबाजी की आड़ में होती है फिक्सिंग
बता दें कि कई बार इन्ही सट्टेबाजी की आध में ये सट्टेबाज खिलाडिय़ों के द्वारा स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग की घटना को अंजाम देते हैं. इसके अलावा कभी-कभी खिलाडियों को धमकियां भी मिलती हैं. साथ ही सट्टेबाज की नई तकनीक के बारे में बात करें तो इंटरनेट पर सट्टेबाजी की कई साइट्स हैं. ऐसे ही बहुत सी इंटरनेशनल गैम्बल वेबसाइट्स भारतीय नागरिकों को आनलाइन जुआ खेलने या सट्टेबाजी करने का निमंत्रण देती हैं. इसमें भारत से करीब दस हजार करोड़ रुपये से ऊपर की रकम का सट्टा लगाया जाता है. क्रिकेट में सट्टेबाजी की निगरानी आसान नहीं है. ऐसे में आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि सट्टेबाजी में इस्तेमाल होने वाला पैसा आता कहां है तो आपको बता दें कि सट्टेबाजी में इस्तेमाल होने वाला पैसा आपराधिक जगत की तमाम गतिविधियों से आता है या फिर इसके पीछे अंडरवर्ल्ड और माफिया का हाथ होता है.
सट्टेबाजी में एशिया नंबर 1
क्रिकेट में सट्टेबाजी का धंधा हर मैच पर करीब दो सौ करोड़ रुपए का है. जिसमें हर चीज का इस्तिमाल कोड वर्ड से होता है. सट्टेबाजी में पैसे लगाने वाले शख्स को पंटर कहा जाता है. वहीं पैसे का हिसाब-किताब रखने वाले को बुकी कहते हैं. ये बुकी मैच से पहले ही मैच का भाव तय कर लेते हैं. इस दौरान भी वो कोडवर्ड का यूज करते हैं. एशिया में सट्टेबाजी चरम पर है. इंटरपोल के करीब 9 साल के आंकड़ों के अनुसार एशिया में खेलों पर अवैध सट्टेबाजी का बाजार करीब 38 लाख डॉलर का है. ये सट्टा एशिया में क्रिकेट के अलावा स्नूकर और फुटबॉल जैसे खेलों में भी धड़ल्ले से चलता है. वहीं यूरोप में फुटबाल पर मैच फिक्सिंग के जाल गहरे हैं. तो अमेरिका में बेसबाल और बास्केटबाल में सट्टेबाजी और फिक्सिंग का प्रचलन है.
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आसान भाषा में सट्टेबाजी का मतलब
कुल मिलाकर आसान शब्दों में कहें तो, सट्टेबाज सट्टे में प्रयुक्त होने के लिए सबसे पहले मोबाइलों के लिए दर्जनों नई सिम लेते हैं. जिसके तहत सिमो के बिक्री में उछाल भी आता है. इसके अलावा सट्टेबाजों के पास कारोबार से संबंधित एक अलग टेलीफोन लाइन होती है. जिस पर मैच की पल-पल की जानकारी उन्हें टीवी से करीब 10 सैकेंड पहले पता चलती है. इसी आधार पर बड़े सट्टेबाज कमाई करते हैं. दिल्ली एनसीआर के अलावा छोटे शहरों में भी क्रिकेट मैच पर सटटा लगाया जाता है. दुनियाभर में बढ़ती सोशल नेटवर्किंग और मोबाइल के प्रचलन ने खेलों के इस अवैध कारोबार को और मजबूत किया है. ज्यादातर अपराधी टैक सेवी हैं. खेलों में सट्टेबाजी और फिक्सिंग मुफीद कारोबार बनता जा रहा है. ऐसे में भारत में वर्ल्ड कप की शुरुआत हो गई है जिसमें सट्टेबाजों की दिवाली और धनतेरस अभी करीब एक महीने तो जमकर चलने वाला है.
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