MP Politics: इस साल के अंत में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाला है. उससे पहले सभी राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से सियासी दांव चल रहे है. वहीं चुनाव को देखते हुए जाति और धर्म की राजनीति शुरू हो गई है. बता दें कि प्रदेश में बाबाओं और राजनेताओं के बीच संबंध गहरा होता जा रहा है. खैर अभी चुनाव आयोग की तरफ से विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है.
पिछले चुनाव में साफ साफ देखा गया था की कंप्यूटर बाबा ने कैसे अपने लोकप्रियता का फायदा उठाते हुए, सियासत खेल रहे थे. परंतु इस बार के चुनाव में फिर बाबाओं ने दबदबा बनाना शुरू कर दिया है. जिसमें बागेश्वर धाम यानी पंडित धीरेंद्र शास्त्री, प्रदीप मिश्रा, पंडोखर सरकार, जया किशोरी, रावतपुरा सरकार संत रविशंकर और कमल किशोर नागर जैसे सरीखे बाबा शामिल है. इन सभी बाबाओं के पंडाल में नेता चुनाव जीतने के लिए हाजिरी लगा रहे है.
बाबाओं की चौखट पर क्यों जा रही है कांग्रेस?
गौरतलब है कि भाजपा ने राम मंदिर आंदोलन के सहारे बड़े पैमाने पर हिंदू वोटरों को अपने तरफ कर लिया है. परंतु अब कांग्रेस भी बाबाओं के दरबार में जाना शुरू कर दिया है. जिससे सभी राजनीतिक पंडित चौक गए है. इस पर मध्य प्रदेश के सीनियर पत्रकार राजेश पांडेय का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस समाज के अनुसार चलते हैं. कांग्रेस के नेता भी उसी धर्म को मानते हैं जिसे भाजपा वाले मानते हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ अभी ही कांग्रेस बाबाओं से समर्थन मांग रही है. 80 के दशक में बाबा पवन दीवान हुआ करते थे जिन्हें कांग्रेस ने सांसद बनाया था. दिग्विजय सिंह भी अपने कार्यकाल में बाबाओं के पास खूब जाते थे.
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बाबाओं का समर्थन किसको?
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में होड़ लगा हुआ है की कौन बाबाओं के पास सबसे अधिक जाता है. पिछले दिनों छिंदवाड़ा में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का दरबार लगवाया था, तो दिग्विजय सिंह के बेटे और कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह ने भी राघौगढ़ में बागेश्वर बाबा के कथा का आयोजन करवाया था. वहीं भाजपा सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने अपने क्षेत्र में पंडित प्रदीप मिश्रा के कथा आयोजन करवाया था. उनके द्वारा नरेला विधानसभा क्षेत्र में रुद्राक्ष वाले बाबा का भव्य शोभा यात्रा भी निकाला गया था.
वैसे कथा वाचक जया किशोरी उत्तर भारत के राज्यों में युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. जिसको देखते हुए भाजपा और कांग्रेस के नेता उन्हें भी आमंत्रित कर रहे है. बता दें कि पिछले दिनों उन्हें कांग्रेस के जीतू ठाकुर और भाजपा के विकास विरानी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में दिखी थीं.
गौरतलब है कि बाबाओं के सभा में नेताओं को देखकर ही अबतक चुनाव होते रहे है. परंतु क्या सच में इस चुनाव में भी ऐसा ही होने वाला है. एक सीनियर पत्रकार ने बताया कि ये बाबा लोग वोट तो कन्वर्ट नहीं कर पाते है. परंतु नेताओ के लिए माहौल जरूर तैयार कर देते है.
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