25 जुलाई को ही क्यों ली जाती है राष्ट्रपति पद की शपथ, क्या है इसके पीछे की दिलचस्प कहानी?

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President Oathing Ceremony: 25 जुलाई की तारीख भारत में एक ऐतिहासिक तारीख के रूप में देखा जाता है. हर पांच साल बाद 25 जुलाई को ही भारत को नया राष्ट्रपति मिलता है। ऐसे में इस दिन (25 जुलाई) को राष्ट्रपति शपथ समारोह के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि राष्ट्रपति 25 जुलाई को ही शपथ क्यों लेते हैं. अगर नहीं तो आइए हम आपको बताते हैं.

25 जुलाई का दिन भारत के लिए खास

दरअसल, साल 1974 में देश में आपातकाल लगा था। ऐसे में आपातकाल से एक साल पहले देश में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे. जहां फखरुद्दीन अली अहमद भारत के 5वें राष्ट्रपति बने। लेकिन 11 फरवरी 1977 को पद पर रहते हुए उनकी अचानक मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद 1977 में देश में फिर से राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिसमें नीलम संजीव रेड्डी ने जनता दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता और छठे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इसके बाद अपना कार्यकाल पूरा करने वाले सभी राष्ट्रपतियों ने इसी तारीख को पद की शपथ ली।

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25 जुलाई को शपथ लेने वाले राष्ट्रपति

नीलम संजीव रेड्डी के बाद से अब तक देश के कुल 8 राष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. वर्तमान में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं, जो देश की 15वीं राष्ट्रपति हैं. वह भारत की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं…. 25 जुलाई को शपथ लेने वाले राष्ट्रपतियों में नीलम संजीव रेड्डी पहली हैं. इसके बाद ज्ञानी जैल सिंह, रामास्वामी वेंकटरमन, शंकर दयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी, रामनाथ कोविंद जैसे दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं…. बता दें कि भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब कोई दिन बिना राष्ट्रपति के रहा हो. राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने के तुरंत बाद नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाई जाती है.

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