Parliament Special Session 2023: केंद्र सरकार 18 सितंबर 2023 से संसद के विशेष सत्र का आयोजन करने जा रही है. यह सत्र 22 सितंबर तक चलेगा. बता दें की बीते बुधवार यानी 13 सितंबर को संसदीय कार्य मंत्रालय ने एक नॉटिफिकेशन जारी किया था. जिसमें उन्होंने संसद के एजेंडे को सबके सामने रखा. इस विशेष सत्र में सरकार g20 समिट, चंद्रयान सहित आजादी के 75 साल पूरे होने पर चर्चा करेगी.
ये होती है विशेष सत्र को बुलाने की प्रक्रिया?
राष्ट्रपति से मिलकर संसद का स्वरूप बना होता है. संविधान के अनुसार भारत की राष्ट्रपति इस देश के संवैधानिक रूप से प्रमुख होते हैं और संसद के महत्वपूर्ण घटक. लेकिन राष्ट्रपति संसद की चर्चा में हिस्सा नहीं लेता है. सांसद सत्र को बुलाने का अधिकार संविधान का अनुच्छेद 85(1) में होता है.
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संविधान में नहीं कोई संसदीय कैलेंडर
गौरतलब है कि सरकार की संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की सलाह और औपचारिक निवेदन के बाद राष्ट्रपति इस सत्र को बुलाने की मंजूरी देता है. देश में वैसे तो संसद सत्र बुलाने का कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है. लेकिन सरकार देश में तीन सत्र का आयोजन करती है. जिसमें बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र शामिल है. हालांकि संविधान में लिखा है कि संसद के दो सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक गैप नहीं होना चाहिए. इसलिए संसद का सत्र तीन बार बुलाया जाता है.
कितनी बार, कब बुलाया गया संसद का विशेष सत्र?
बता दें कि देश के संविधान में विशेष सत्र का कोई जिक्र नहीं है. लेकिन यह आमतौर पर जरुरी विधाई और राष्ट्रीय घटनाओं से जुड़ी स्थितियों में सरकार को राष्ट्रपति के आदेश से देश के सभी सांसदों को तलब करने का अधिकार देता है. इसके अलावा इस सत्र से प्रश्नकाल को हटाया जा सकता है. देश में अभी तक संसद के 7 विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं.
पहला सत्र: 1977 में तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने के लिए फरवरी में दो दिनों के लिए
राज्यसभा का विशेष सत्र बुलाया जा चुका है.
दूसरा सत्र: 1991 में हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी देने के लिए जून में दो दिवसीय विशेष सत्र (158वां सत्र) को आयोजित कराया गया था.
तीसरा सत्र: 1992 में भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष सत्र को बुलाया गया था.
चौथा सत्र: 26 सितंबर 1997 को भारत की आजादी की स्वर्ण जयंती का उत्सव मनाने के लिए संसद के विशेष सत्र का बुलाया जा चुका है.
पांचवा सत्र: 2008 में लेफ्ट संगठनों ने कांग्रेस की मनमोहन सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. जिसके पश्चात बहुमत साबित करने के लिए सरकार ने जुलाई में लोकसभा का विशेष सत्र को बुलाया था.
छठा सत्र: 26 नवंबर 2015 में डॉ बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाने के लिए मोदी सरकार ने विशेष सत्र को बुलाया था.
सातवां सत्र: जीएसटी में सुधार के लिए बीजेपी ने मध्यरात्रि में संसद के विशेष सत्र का आयोजन कराया गया था.
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