कब निकलेगा Karva Chauth का चांद? जानिए कैसे करें पूजा और क्या है इसकी सामग्री

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Karwa Chauth 2023: सुहागिनों का सबसे पसंदीदा व्रत करवा चौथ 1 नवंबर 2023(बुधवार) को है. करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अखंड प्रेम,त्याग और सम्मान की चेतना का प्रतीक है. ये व्रत दांपत्य जीवन में अपार खुशियां और प्यार लेकर आता है.करवा चौथ के दिन विवाहित स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए सुबह से लेकर रात तक अन्न-जल का त्याग कर व्रत रखती है.

करवा चौथ में स्त्रियां शाम को 16 श्रृंगार कर करवा माता की पूजा करती है और फिर रात में चंद्र को अर्घ्य देकर पति के हाथों जल पिकर व्रत खोलती है. विवाहिता के लिए यह व्रत बेहद खास है ऐसे में पूजा-व्रत के दौरान किसी चीज की कमी न हो इसलिए अभी से करवा चौथ व्रत की सामग्री जुटा लें.

इस बार कब निकलेगा करवा चौथ का चांद

इस साल करवा चौथ की पूजा का समय 1 नवंबर 2023 को शाम 05.36 – 06.54 तक है. व्रती की पूजा में लगभग 1 घंटे का समय लगेगा. करवा चौथ का चांद रात 08.15 मिनट पर निकल आएगा.

करवा चौथ पूजन सामग्री

करवा चौथ की पूजा के लिए टोटीवाला करवा, कलश,रोली, कुमकुम, मौली, अक्षत,दही,पान, व्रत कथा की पुस्तक, शक्कर का बूरा,चंदन, फूल, हल्दी, चावल, मिठाई
देसी घी, इत्र, नारियल, जनेऊ जोड़ा, अबीर, गुलाल, शहद, कच्चा दूध, दक्षिणा.
छलनी, कपूर, गेहूं, बाती, करवा माता की तस्वीर,अगरबत्ती, दीपक, लकड़ी का आसन, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरी.

सरगी – 16 श्रृंगार की सभी समाग्री, ड्रायफ्रूट्स, मिष्ठान,फल,
16 श्रृंगार का सामान – कुमकुम, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, काजल,काली पोत, बिछुआ

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करवा चौथ में इन चीजों का महत्व

करवा – करवा को गणेश भगवान का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं करवे में जो टोटी लगी होती है, वो गणेश जी की सूंड मानी जाती है. करवा में जल भरकर पूजा करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी मंगल कामनाएं पूर्ण होती है.

दीपक – करवा चौथ व्रत के दिन स्त्रियां छलनी में दीपक रखकर पहले चांद और फिर पति का चेहरा देखती है. शास्त्रों के मुताबिक दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है, एकाग्रता बढ़ती है.

कांस की सींक – कांस की सींक को करवे की टोटी में रखा जाता है. माना यह जाता है कि यह सींक शक्ति का प्रदर्शन करती है. कथा के अनुसार करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था उस समय उन्होंने अपनी शक्ति से इन्हीं सींकों का यूज कर के मगर को बांध दिया और यमराज के पास पहुंच गयीं. उस वक्त चित्रगुप्त करवा माता के जीवन का लेखा जोखा देख रहे थे. उसी समय करवा ने सींकों से चित्रगुप्त के पन्नों से पति के प्रसंग को अलग कर दिया और यम से पति के प्राणों की रक्षा की कामना की.

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