Rajiv Gandhi: 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश के कई प्रसिद्ध लोगों को निमंत्रण भेजा गया है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इंकार कर दिया. कांग्रेस पार्टी ने स्टैंड क्लियर करते हुए कहा कि पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी इस समारोह का हिस्सा नही होंगे. वहीं आपको बताते हैं एक किस्सा जब सोनिया गांधी को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं मिली थी तब राजीव गांधी ने नेपाल से रिश्ते खराब कर लिए थे.
सोनिया को नही मिली थी एंट्री
दरअसल ये बात है साल 1988 की जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी नेपाल दौरे पर थें. राजीव सोनिया गांधी के साथ नेपाल दौरा कर रहे थे. तभी वो ये चाहते थे की पूरे परिवार के साथ पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करे लेकिन सोनिया ईसाई धर्म से थी. ऐसे में ये इतना आसान नही था. दरअसल पशुपतिनाथ मंदिर में हिंदुओं के अलावा किसी और को जाने की इजाजत नहीं है. वहीं भारत में जगन्नाथ मंदिर और तिरुआती बालाजी मंदिर में भी कुछ ऐसा ही है. यही कारण था कि राजीव राजा बिक्रम सिंह से सोनिया की सुरक्षित प्रवेश का आश्वासन चाहते थे.
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राजीव ने किया था ये
वहीं तत्कालीन राजा बिक्रम सिंह इस मामले में राजीव के लिए उपयोगी नहीं साबित हुए. ऐसा माना जाता है कि पुजारियों ने सोनिया के मंदिर में प्रवेश से असमर्थता जताई थी. ऐसा माना जाता है कि तत्कालीन महारानी और राजा बिक्रम सिंह की पत्नी महारानी ऐशवर्या का मंदिर प्रबंधन में काफी दखल था. और उन्हे ये बिलकुल पसंद नहीं था की कोई गैर हिन्दू मंदिर में प्रवेश करे. वही राजीव बिना दर्शन किए ही वापिस लौट आए. वापिस आते ही राजीव ने नेपाल पर नाकाबंदी कर दी. जिसे लोगो ने बदले की भावना से देखा. वहीं राजनैतिक पंडितों का मानना है कि राजीव ने ऐसा इसलिए लिए किया क्योंकि नेपाल ने चीन से उस समय विमानभेदी तोप और अन्य हथियार खरीदे थें.
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