हीरामंडी की क्या है पूरी कहानी? कैसे बना ये शहर तवायफ का अड्डा

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Heeramandi: हीरामंडी ये नाम सोशल मीडिया से लेकर हर तरफ खूब चर्चा में है. हीरा मंडी एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ होता है हीरों का बाजार, अब अगर आप ये सोच रहे हैं की ये कहानी भी किसी हीरे के बाजार की है तो आप ग़लत हैं. पहले जान लेते हैं आखिर हीरा मंडी इतना ज़्यादा चर्चे में क्यों है? तो कहानी कुछ यूँ है की मशहूर फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली अपनी पहली वेब सीरीज लेकर आ रहें है. ये सीरीज से वो अपना ओटीटी डेब्यू करने जा रहे हैं. इस सीरीज का ट्रेल भी लांच हो गया है. ये सीरीज नेटफ्लिक्स पर आ रही है. अब लौटते हैं कहानी की ओर आखिर हीरा मंडी की असली कहानी है क्या? इसका नाम हीरा मंडी क्यों पड़ा जब की वहां कोई हीरे का बाजार था ही नहीं.

कहा है हीरामंडी

ये कहानी है हिस्दुस्तान के पडोसी मुल्क पाकिस्तान के लाहौर की. हीरा मंडी को पहले शाही मोहल्ला कहा जाता था. मुग़लकाल के दौरान अफ़गानिस्तान और उजबेकिस्तान जैसी जगहों से महिलाओं को इस महौल्ले में लाया जाता है. उन्हें तवायफ का नाम दिया जाता था. आज के दौर में अगर हम तवायफ का नाम ले तो उसे आप किसी और जगह ले जा सकते हैं सीधे तौर पर कहे तो आज के वक़्त में तवायफ का मतलब जिस्मफरोशी करने वालों से जोड़ा जाता है. हलाकि तब के वक़्त में ऐसा नहीं था.

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ये है कहानी

तवायफ का कल्चर हिंदुस्तान के लखनऊ जैसे शहर में भी काफी था. तब तवायफ का मतलब होता था संगीत, नृत्य, तहजीब और कला. तवायफ तब नवाबों के सामने नृत्य करती थी और उनका मनोरजन करती थी. खैर अब लौटते हैं खबर की ओर कभी जहाँ पैरों के घुंघरू की आवाज़ गूंजती थी धीरे धीरे इस जगह पर ऐसे भद्दे साये पड़ने लगे जिसे जिसे हम आम भाषा में रेड लाइट एरिया या जिस्म बिकने की जगह कहते हैं. मुग़लकाल का आखिरी वक़्त चल रहा था अंग्रेज़ हर जगह कब्ज़ा कर रहें थे, अंग्रेज़ों ने जब लाहौर में कब्ज़ा किया तब उन्होंने शाही मोहल्ले के तवाइफ्खानों को उजाड़ना शुरू कर दिया. और वहां जिस्म का धंधा होने लगा.

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