What is Dark Oxygen: दुनिया में ऐसा बहुत कुछ है जिसके बारे में अबतक वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए हैं यही वजह है कि हमारे सामने आए दिन कोई न कोई नई खोज आती रहती है। कुछ ऐसी ही खोज समुद्र की गहराई में हुई, जहां से एक ऐसी चीज निकलकर सामने आई है जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है। दरअसल, समुद्र की गहराईयों में पहली बार वैज्ञानिकों को डार्क ऑक्सीजन मिला है। इसे देख वैज्ञानिक भी हैरान हैं सवाल ये उठ रहा है कि समुद्र की गहराईयों में जहां सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पा रही वहां एक अलग तरह की ऑक्सीजन बन रही है।
क्या है डार्क ऑक्सीजन?
उत्तरी प्रशांत महासागर के क्लेरियॉन क्लिपर्टन जोन में धातु के छोटे–छोटे नॉड्यूल्स मिले हैं, यानी छोटी–छोटी गेंदे। ये नॉड्यूल्स समुद्र की तलहटी में पूरी तरह फैले हुए हैं। हैरानी की बात ये है कि ये गेंदे अपना खुदा का ऑक्सीजन बनाती हैं, जिसे वैज्ञानिकों ने डार्क ऑक्सीजन नाम दिया है। धातु से बनी ये गेंदे एक आलू की तरह हैं। ये गेंदे घोर अंधेरे में ऑक्सीजन पैदा करी हैं यही वजह है कि यहां पैदा होने वाली ऑक्सीजन को ‘डार्क ऑक्सीजन’ नाम दिया गया है, क्योंकि यहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती।
वैज्ञानिकों को जब दौबारा करनी पड़ी जांच
स्कॉटिश एसोसिएशन फॉर मरीन साइंस (SAMS) के वैज्ञानिक एंड्र्यू स्वीटमैन के मुताबिक, उन्हें पहले ये डेटा मिला तो उन्हें लगा कि सेंसर्स खराब हो गए हैं, क्योंकि किसी ने भी आजतक समंदर की तलहटी में कुछ भी ऐसा नहीं देखा था। ये वो जगह है जिसके बारे में हमेशा लगता था कि यहां ऑक्सीजन कंज्यूम होता है न कि प्रोड्यूस। इसलिए जब डार्क ऑक्सीजन के बारे में पता चला तो साइंटिस्ट भी हैरान थे इसके बाद इसकी दोबारा जांच की गई।
जहां सूरज की रोशनी नहीं वहां कैसे आई ऑक्सीजन?
डार्क ऑक्सीजन की खोज 13 हजार फीट की गहराई में हुई है, जहां पर लहरें भी नहीं होती है। इस जगह पर सूरज की रोशनी भी नहीं होती प्राकृतिक तरीके से यानी फोटोसिंथेसिस के जरिए ऑक्सीजन पैदा नहीं होता। एक तरीका है यानी अमोनिया का ऑक्सीडाइजेशन इससे ऑक्सीजन निकलता है। हालांकि, ये पहली बार है जहां डॉर्क ऑक्सीजन खेज हुई है।