
Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र अनुसार घर में मंदिर रखने की सही दिशा: सुख-शांति और समृद्धि का रहस्य
वास्तु शास्त्र, भारतीय वास्तुकला का एक प्राचीन विज्ञान है, जो जीवन को संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीने की दिशा दिखाता है। घर में मंदिर या पूजा स्थान का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह न केवल एक आध्यात्मिक केंद्र होता है, बल्कि वहां से निकलने वाली ऊर्जा पूरे घर को प्रभावित करती है। सही दिशा में मंदिर स्थापित करने से जीवन में सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। आइए जानें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर रखने की कौन-सी दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है।
Vastu Shastra: घर में मंदिर रखने की सही दिशा:
पूर्व (East) और उत्तर-पूर्व (North-East) दिशा को घर में मंदिर स्थापित करने के लिए सबसे शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिशा को ईशान कोण कहा जाता है, जो देवताओं की दिशा मानी जाती है। यह दिशा सूर्य की पहली किरण प्राप्त करती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यदि पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा उपलब्ध नहीं है, तो उत्तर (North) दिशा भी एक विकल्प हो सकती है।
मंदिर की ऊँचाई और स्थान:
मंदिर को जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर रखें। यह जमीन के संपर्क से नकारात्मक ऊर्जा को रोकता है।
पूजा स्थल हमेशा साफ-सुथरा और शांतिपूर्ण स्थान पर होना चाहिए।
कभी भी मंदिर को शौचालय या रसोईघर के पास न रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
मंदिर को बेडरूम में रखने से बचें। यदि रखना ज़रूरी हो, तो एक पर्दा या अलग स्थान का उपयोग करें।
मूर्तियों की स्थिति और दिशा:
देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मंदिर में पूर्व या पश्चिम की ओर मुख करके रखें।
पूजा करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
बहुत बड़ी और भारी मूर्तियाँ मंदिर में न रखें, साधारण और सीमित मूर्तियाँ रखें।
Vastu Shastra: मंदिर में क्या न रखें:
टूटे-फूटे मूर्तियाँ या चित्र नहीं रखने चाहिए।
मंदिर के नीचे कोई स्टोर रूम या बाथरूम नहीं होना चाहिए।
निष्कर्ष:
घर में मंदिर की सही दिशा और स्थिति तय करने से सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और पारिवारिक समृद्धि बढ़ती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर रखना सबसे उत्तम होता है। पूजा स्थान को पवित्रता, श्रद्धा और नियमों के अनुसार बनाए रखने से घर में हमेशा दिव्यता बनी रहती है।
अगर आप नया घर बना रहे हैं या मौजूदा घर में मंदिर का स्थान बदलना चाह रहे हैं, तो इन वास्तु नियमों का पालन अवश्य करें।