G20 Summit 2023: दिल्ली में 9 से 10 सितंबर के बीच आयोजित सफल G20 कार्यक्रम में दुनिया भर के कुल 29 देशों के प्रमुखों ने भाग लिया. इस सम्मेलन में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने भी हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने भारत की उस घोषणा का विरोध किया जिसमें भारत, सऊदी अरब और यूरोपीय संघ के नेताओं ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर पर सहमति जताई है. तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि तुर्की के बिना कोई कॉरिडोर नहीं हो सकता.
क्या है भारत-मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर?
भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) एक ऐसा ट्रांसपोर्ट लिंक प्रोजेक्ट है जो रेलवे लाइन और शिपिंग पोर्ट को एक साथ जोड़ना है. ये लाइन संयुक्त अरब अमीरात,सऊदी अरब,जॉर्डन और इज़राइल से होकर गुजरेगी और फिर ग्रीस और यूरोप तक पहुंचेगी. इस समझौते पर यूरोपीय संघ,भारत,संयुक्त अरब अमीरात,अमेरिका,सऊदी अरब और दूसरे G20 भागीदारों ने भी हस्ताक्षर किए है. बता दें कि इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य शिपिंग टाइम को 40 फीसदी करना है. वहीं इस तरीके से अन्य लागतों और ईंधन के इस्तेमाल पर खर्च होने वाले पैसों को भी बचाया जा सकेगा. बता दें कि इस प्रोजेक्ट में तुर्किए को शामिल नहीं किया गया है.
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तुर्किए इराक विकास सड़क परियोजना को समर्थन
तु्र्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें पता है कि कई देश बिजनेस कॉरिडोर बनाकर अपने क्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं. दरअसल एक तरफ तो तुर्किए भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का विरोध कर रहा है वहीं दूसरी तरफ तुर्किए इराक विकास सड़क परियोजना का समर्थन कर रहा है. जिसका मकसद संयुक्त अरब अमीरात में बंदरगाहों के माध्यम से रेलवे और राजमार्ग के माध्यम से खाड़ी देश कतर और इराक को तुर्की और यूरोप से जोड़ना है. एर्दोगन ने बताया कि विशेष रूप से यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद ने इस मुद्दे पर बहुत अधिक दृढ़ सुझाव दिया है.
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