भारत के ये प्रधानमंत्री नहीं फहरा सके लाल किले पर तिरंगा, जानिए क्या थी बड़ी वजह?
Independence Day: 15 अगस्त हर भारतवासी के लिए गौरवशाली दिन है.15 अगस्त सैकड़ों सालों से अग्रेंजी हुकुमत की चक्की में पिस रहे भारतीयों के लिए चंगुल से मुक्ति का दिवस हैं। 14 अगस्त की रात ठीक 12 बजे लाहौर में रावी नदी के तट पर अंग्रेजों ने भारत को आजाद घोषित कर दिया. 15 अगस्त की सुबह भारत के लिए आजादी का सूर्योदय था. हर भारतीय के चेहरे पर आजादी की खुशी की लहर थी। भारतवासी 15 अगस्त को आजादी की खुशबू व नई उमंग को महसूस कर रहे थे. ये सुबह थी भारतीयों को ब्रिटिश दमनकारी शासन से मुक्ति की।
जब रावी नदी के तट पर हुआ फैसला
दसअसल, 14 अगस्त की रात को तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड माऊंटबेटन ने दोनों देशों की आजादी का ऐलान किया। और भारत व पाकिस्तान दो नए देश दुनिया के मानचित्र पर उभरकर आए। भारत की आजादी के 77 साल पूरे हो रहे है. भारत अपनी आजादी को विश्व नई बुलंदियों के साथ विश्व पटल आगे बढ़ रहा है। आने वाली 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लालकिले की प्राचीर से झंडा फहराएंगे। प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर से 9वीं बार तिरंगा फहराएंगे। नरेंद्र मोदी 9 बार तिरंगा फहराने वाले देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री होंगे।
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नेहरू ने फहराया सबसे अधिक बार तिरंगा
इससे पहले 6 बार गैर-कांग्रेसी के रूप में झंडा फहराने वाले प्रधानमंत्री का रिकॉर्ड अटल बिहारी वाजपेयी के नाम है। आजादी की गौरवगाथा के समय भारत की आजादी के इतिहास में अनेकों प्रधानमंत्रियों ने अपने देश के नागरिकों को संबोधित करके आजादी की उंमग को ताजा रखने का काम किया है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम सर्वाधिक 17 बार झंडा फहराने का रिकॉर्ड दर्ज है। पंडित नेहरू ने 15 अगस्त 1947 से लेकर 15 अगस्त 1964 तक लगातार 17 बार लालकिले की प्राचीर से तिरंगा फहराने का काम किया। वहीं देश की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए 11 बार लालकिले से तिरंगे का ध्वजारोहण किया। देश के जाने-माने अर्थशास्त्री व पूर्व प्रधानमंत्री ने डॉ मनमोहन सिंह ने भी 10 बार लालकिले की प्राचीर से भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को संबोधित किया|
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वहीं, गुलजारी लाल नंदा व चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री रहते हुए एक बार भी लाल किले पर तिरंगा नहीं फहराया। देश की आजादी के लिए लाखों भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया। देश की आजादी के लिए सन् 1857 के विद्रोह को अग्रेंजी हुकुमत के खिलाफ भारतीय आजादी आंदोलन का सबसे बड़ा विद्रोह माना जाता है। 1857 से लेकर 1947 तक लाखों भारतीयों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। देश के वीर सपूतों ने आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। 1757 में भारत में प्लासी के युध्द के समय अंग्रेजों ने अपना साम्राज्य स्थापित किया। और लगभग 200 सालों तक भारत पर राज किया। देश में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर खास तैयारियां पूरी हो चुकी है। देश के बाजार तिरंगे के रंग से रंग चुके है। आजादी के पर्व को मनाने के लिए देशवासी पूरी तरह से तैयारी कर चुके है। राजधानी दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां सबसे खास होती है। देश का गौरव आजादी दिवस हर भारतीय को अपना सीना गर्व से ऊंचा करने का अवसर प्रदान करता है।
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