Kolkata Rape Murder Case: सबसे करीबी ने Mamta Banerjee को छोड़ दिया अकेला? Kolkata Doctor Murder केस के बाद TMC में कैसे आया भूचाल?

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Kolkata Rape Murder Case: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल आउट कॉलेज में 9 अगस्त को प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और फिर उनका मर्डर कर दिया गया था। इस घटना की वजह से पूरा देश उबल रहा है। देशभर के डॉक्टरों ने हड़ताल किया है। इस वजह से ममता बनर्जी की सरकार पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। वहीं अब टीएमसी के अंदर भी कलह शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट, भारतीय जनता पार्टी के बाद टीएमसी के नेता भी सवाल उठाने लगे हैं। सुखेंदु शेखर राय और शांतनु सेन के बाद अब ममता बनर्जी के सबसे करीबी उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी सवाल उठा दिए हैं। जिसके बाद माना जा रहा है कि ममता बनर्जी अब बंगाल की राजनीति में अकेला पड़ चुकी है।

बंगाल की राजनीति में अकेला पड़ी ममता बनर्जी

बता दें कि, कोलकाता रेप और मर्डर मामले की वजह से ममता बनर्जी परेशानियों का सामना कर रही हैं। इस बीच डायमंड हार्बर सीट से सांसद और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने अब ममता सरकार के खिलाफ बयानबाजी की है। उससे यह साफ हो गया है कि इस मामले पर ममता से उनके मतभेद बढ़ गए हैं। आरजी कर अस्पताल मामले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में अभिषेक ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ये बलात्कारी समाज में रहने के लायक नहीं हैं। इन्हें एनकाउंटर में मार दिया जाना चाहिए या फिर फांसी पर लटका देना चाहिए। इतना ही नहीं, इस मामले में ममता के विरोध मार्च में उनकी अनुपस्थिति भी लोगों को हैरान कर रही थी।

पार्टी में खतरनाक स्तर पर पहुंचा असंतोष

कोलकाता बलात्कार मामले को बंगाल सरकार ने जिस तरह से संभाला है। उससे टीएमसी में इसके खिलाफ आवाज उठने लगी है। यह पहली बार है कि उनके करीबी सहयोगी उनके खिलाफ बोलने लगे हैं। टीएमसी के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय और पूर्व सांसद शांतनु सेन ने अपनी तीखी टिप्पणियों से पार्टी और सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। सुखेंदु शेखर राय ने इस मुद्दे पर पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर कोलकाता पुलिस और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस मुद्दे पर शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे गए पत्र में राय ने हर जिले में तीन फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने और ऐसे मामलों को छह महीने के भीतर निपटाने की अपील की है।

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