Supreme Court’s Rebuke: पढ़ी-लिखी महिला को खुद कमाने की सलाह, 12 करोड़ की मांग को बताया ‘अत्यधिक’”

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक वैवाहिक विवाद की सुनवाई के दौरान एक महिला को कड़ी फटकार लगाई, जिसने अपने अलग रह रहे पति से 12 करोड़ रुपये का भरण-पोषण, मुंबई में एक लक्ज़री फ्लैट और एक बीएमडब्ल्यू कार की मांग की थी। महिला ने यह भी दावा किया कि उसका पति, जो पहले सिटीबैंक में मैनेजर था और अब दो व्यवसाय चला रहा है, ने उसे उसकी पुरानी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया था।

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Supreme Court’s Rebuke: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए कहा, “आप इतनी पढ़ी-लिखी हैं, आईटी क्षेत्र से जुड़ी हैं, एमबीए कर रखा है। ऐसे में आपको खुद काम करके कमाना चाहिए। यह मांग बहुत ज़्यादा है।”

महिला, जो अदालत में खुद अपनी पैरवी कर रही थीं, ने आरोप लगाया कि उनके पति ने उन्हें मानसिक बीमारी (स्किजोफ्रेनिया) से पीड़ित बता कर विवाह को रद्द करवाने की कोशिश की थी। इस पर उन्होंने अदालत से सवाल किया, “क्या मैं स्किजोफ्रेनिक लगती हूं, माय लॉर्ड्स?”

महिला की मांग को न्यायालय ने अव्यावहारिक और अत्यधिक बताया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आप केवल 18 महीने विवाहित रहीं और आप एक करोड़ प्रति महीने के हिसाब से गुज़ारा भत्ता चाहती हैं? वह घर कलपतरु में है, जो एक नामी बिल्डर है। आप पुणे, हैदराबाद या बेंगलुरु जैसे आईटी शहरों में अच्छी नौकरी पा सकती हैं।”

पति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दिवान ने भी दलील दी कि महिला को भी अपनी आजीविका के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हर चीज़ की मांग ऐसे नहीं की जा सकती। उसे भी काम करना होगा।”

Supreme Court’s Rebuke: सुप्रीम कोर्ट ने पति की आय के दस्तावेजों और टैक्स रिटर्न को देखा, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि उसकी आमदनी नौकरी छोड़ने के बाद कम हो गई है। इसके बाद कोर्ट ने महिला को मुंबई में दिए गए फ्लैट से संतुष्ट रहने की सलाह दी और कहा कि वह नौकरी करके अपने लिए सम्मानजनक जीवन चुनें।

फिलहाल अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, लेकिन इस सुनवाई ने समाज में आत्मनिर्भरता और व्यावहारिक सोच को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है।

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