Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने कथित शराब घोटाले में शुक्रवार (12 जुलाई 2024) को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत प्रदान की है। इस निर्णय के पश्चात आम आदमी पार्टी में हर्ष का वातावरण है। पार्टी इस निर्णय को सत्य की विजय बता रही है पार्टी नेताओं का मानना है कि न्यायालय के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि तानाशाही नहीं चलेगी। उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी कड़ी फटकार लगाई। न्यायालय ने ईडी की कार्यवाही पर भी अनेक प्रश्न उठाए।
उच्चतम न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत प्रदान करने के साथ ही इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंप दिया है। यह जमानत बड़ी पीठ द्वारा मामले की सुनवाई की तिथि तक के लिए है। हालांकि जमानत मिलने के बाद भी अरविंद केजरीवाल अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे उन्हें यह अंतरिमम जमानत ईडी के मामले में मिली है, जबकि पिछले महीने उन्हें सीबीआई ने भी अरेस्ट किया था इस मामले में जमानत पर सुनवाई 17 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को लगाई इस तरह फटकार
आरोपी को गिरफ्तार करने के मामले में पिक एंड चूज पॉलिसी नहीं अपना सकती है।
गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को फंसाने वाली सामग्री को चुनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को दोषमुक्त करने वाले अन्य सबूतों पर भी विचार करना होगा।
पीएमएलए (PMLA) यानी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा की शक्ति का इस्तेमाल अधिकारी की मर्जी के अनुसार नहीं हो सकता है।
मामलों में चुनिंदा आधार पर जांच और अन्य कार्यवाही हो रही है।
ईडी को जांच के मामले में एकरूपता बनाए रखनी चाहिए।
सभी के लिए एक ही नियम के तहत कार्रवाई करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से जुड़े डेटा पर भी सवाल उठाए कोर्ट ने पूछा कि मामलों को निपटाने के लिए ईडी के पास को समान नीति है या नहीं।
कोर्ट ने ये भी पूछा कि कब किसकी गिरफ्तारी होगी इस पर भई कोई स्पष्ट और एक समान नीति है या नहीं।
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