Shardiya Navratri Day 7: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का आज (21 अक्टूबर) 7वां दिन है. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. माना जाता है कि जो व्यक्ति विधि-विधान से कालरात्रि की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही मां कालरात्रि की पूजा से आसुरी शक्तियों से लड़ने की ऊर्जा मिलती है. मां कालरात्रि के स्वरूप से भूत, प्रेत और राक्षस सभी भयभीत होकर भाग जाते हैं. ऐसे में आज हम मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र और प्रसाद के बारे में जानेंगे. तो आइए विस्तार से जानते हैं.
देवी कालरात्रि की पूजा विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा करते समय सबसे पहले कुमकुम का तिलक लगाना चाहिए. साथ ही लाल मौली, गुड़हल या रातरानी के फूल भी चढ़ाएं. मान्यता है कि मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाना अति प्रिय है. इसलिए भोग में गुड़ जरुर रखें. इसके बाद मां कालरात्रि की आराधना करें. उसके बाद भोग लगाना चाहिए.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करता है, उस पर मां कालरात्रि प्रसन्न होती हैं. शास्त्रों के अनुसार कालरात्रि की पूजा के दौरान श्रृंगार का सामान भी अर्पित किया जाता है, जिसमें कंघी, तेल, शैम्पू, नेल पेंट, सिन्दूर, काजल और लिपस्टिक शामिल होती है. मान्यताओं के अनुसार, कालरात्रि की पूजा से दुष्प्रभाव खत्म और जीवन में खुशियां आती हैं.
मां कालरात्रि मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
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माँ कालरात्रि भोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाया जाता है. गुड़ का दान भी किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति गुड़ चढ़ाता है उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.
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