Rupee-Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है. 7 सितंबर को मुद्रा बाजार में रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर 83.22 रुपये पर बंद हुआ. बता दें कि इस हफ्ते में लगातार चौथे दिन यह गिरावट देखी गई है. वहीं, अमेरिकी मुद्रा डॉलर में मजबूती के साथ-साथ कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण यह गिरावट देखी गई है.
कच्चे तेल की कीमत में तेजी
कच्चे तेल के दाम एक बार फिर से बढ़ गए हैं, जिस वजह से रुपये में कमजोरी देखने को मिली है. सऊदी अरब और रूस ने इस साल दिसंबर के महीने तक कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है. जिस वजह से कच्चे तेल के दामों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी देखने को मिली है. ब्रेंट क्रूड ऑयल 91 डॉलर प्रति बैरल के लेवल को पार कर गया है. हाल ही में ये 90.19 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है.
तेल कंपनियों को होगा नुकसान
डॉलर के मजबूत होने से और कच्चे तेल की कीमतों के 90 डॉलर प्रति बैरल के पार जाने के बाद इन कंपनियों के मुनाफे में कमी आएगी. कीमतों में उछाल के बाद सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को बड़ा झटका लगने वाला है. बता दें कि चुनावों की वजह से सरकार इन कंपनियों को पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ाने की इजाजत नहीं देगी.
वहीं मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी ये है कि घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दामों में कटौती के बाद पेट्रोल व डीजल के दामों में कमी की आशंका जताई जा रही थी, परंतु कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बाद से सरकार के लिए यह फैसला लेना बिलकुल भी आसान नहीं होगा.
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