भारतीय विविधता को लेकर RSS प्रमुख का बयान, बोले- हिंदुस्तान को अपने एकता पर विचार करना चाहिए
Mohan Bhagwat: विश्व में विविधता की बात जब भी होती है हिंदुस्तान का स्थान सबसे उपर होता है. नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि पुरे विश्व को हिंदुस्तान को यह सिखाना है कि विविधता में एकता नहीं, एकता की ही विविधता है. हम एक हैं यह वस्तुस्थिति है. हम अलग-अलग हैं यह भाव है और हमारी भारतीय संस्कृति का भाव ही वसुधैव कुटुंबकम रहा है. उन्होंने आगे कहा कि हिंदुस्तान ने हमेशा विश्व को यह भाव देने का काम किया है. भारत के अस्तित्व का एक मात्र प्रयोजन यही है.
विश्व को भारत सदैव दिखाता है रास्ता- मोहन भागवत
आरएसएस प्रमुख ने कार्यकर्म में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सुरक्षा का एकमात्र उपाय विश्व में मिलकर रहना है. अमेरिका की एकता का आधार आर्थिक हित है. वहीं अरब को एक धर्म के आधार पर एकत्रित किया गया है. मोहन भागवत ने आगे कहा कि इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं है कि G20 शिखर सम्मेलन में जो वसुधैव कुटुंबकम् की बात कही गई थी. वह इसलिए कही गई थी क्योंकि भारत हमेशा से दुनिया को यह रास्ता दिखाता आ रहा है.
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प्रणव मुखर्जी से बहुत कुछ सीखने को मिलता था
आरएसएस प्रमुख ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बारे में कहा कि रंगा हरी अकेले ऐसे शख्स नहीं थे, जिनके पास बैठने से बहुत कुछ सीखने को मिल जाता था. बल्कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ बैठने से बहुत कुछ मिल जाता था. वह बहुत विद्वान थे, जब मैं उनसे मिलता था, वह कहते थे कि भारत का संविधान ही सेकुलर है. फिर रुके और बोले कि 500 वर्षों से हमारे देश की यही पद्धति रही है. उन्होंने आगे कहा कि हमारी यह भावना है कि सारी पृथ्वी वसुधैव कुटुम्बकम की राह पर चलें.
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