Rajkumar rao की अपकमिंग फिल्म ला रही है श्रीकांत बोला की कहानी, कोन है यह जाने
जब भी हम या आप किसी नेत्रहीन शख्स को देखते हैं तो सबसे पहले दिमाग में यही ख्याल आता है कि अरे! इसके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था. बेचारा कैसे अपने सारे काम करता होगा? कैसे कमाता होगा, जिंदगी कैसे जीता होगा? ऐसे ख्याल आना लाजमी भी है, क्योंकि बहुत से नेत्रहीनों को हमलोग सड़क के किनारे भीख मांगते हुए देखते हैं.
इन्हीं नेत्रहीनों में से एक शख्स ऐसा भी है जो कि तमाम मुश्किलों के बाद पढ़-लिखकर इतना सशक्त हो गया कि उसने 500 करोड़ की कंपनी खड़ी कर ली. यहां हम बात कर रहे हैं श्रीकांत बोल्ला की. वही श्रीकांत बोल्ला जिनपर राजकुमार राव फिल्म श्रीकांत लेकर आए हैं. तो चलिए आपको इनकी सफलता की कहानी बताते हैं.
नेत्रहीन होने के कारण कोई बात नहीं करता था
श्रीकांत बोल्ला पहले ऐसे नेत्रहीन शख्स हैं, जिन्होंने साचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में जाकर साइंस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. श्रीकांत एक बिजनेसमैन और बोलैंट इंडस्ट्रीज के मालिक हैं. आंध्रप्रदेश के मछलीपट्टनम शहर के पास कुछ दूरी पर श्रीकांत का गांव था. उनके गांव की हालत ऐसी थी कि कई किलोमीटर दूर चलकर पढ़ाई करने के लिए जाना होता था. वह अपने भाई और साथियों के सहारे इस सफर को तय करते थे. बीबीसी की रिपोर्ट की मानें तो श्रीकांत का कहना था कि नेत्रहीन होने के कारण कोई उनसे बात नहीं करता था.
बचपन में हत्या कर देने की मिलती थी सलाह
श्रीकांत ने बताया था कि बहुत से लोग उनके माता-पिता के पास आते थे और कहते थे कि तकिए से दबाकर इसकी हत्या कर दो. लोगों की बातों को अनदेखा करते हुए उनके माता पिता ने उनका साथ दिया था. जब श्रीकांत आठ साल के थे तब उनका दाखिला एक नेत्रहीन स्कूल में हो गया था. यहीं पर उन्होंने क्रिकेट, स्विमिंग और शतरंज सीखा था. श्रीकांत बोल्ला ने 98 फीदसी अंकों के साथ इंटरमीडियट पास किया था.
एजुकेशन सिस्टम पर किया केस
इंटरमीडियट के बाद वह आगे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए आईआईटी में एडमिशन लेना चाहते थे, लेकिन आईआईटी ने नेत्रहीन होने के कारण उनको एडमिशन देने से मना कर दिया. इस दाकियानूसी सोच से परेशान होकर उन्होंने एजुकेशन सिस्टम पर केस किया और छह महीने में वह केस जीत भी गए और फिर उन्होंने आगे की पढ़ाई की.
एमआईटी में पढ़ने वाले पहले नेत्रहीन छात्र
इस डिग्री के बाद श्रीकांत ने मैसाचुसेट्स के कैंब्रिज के एमआईटी को चुना. एमआईटी में पढ़ने वाले श्रीकांत पहले नेत्रहीन छात्र थे. श्रीकांत बोल्ला लीड इंडिया 2020: द सेकेंड नेशनल यूथ मूवमेंट के सदस्य भी रह चुके हैं. इसे देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने शुरू किया था. इसके बाद अब बारी थी अपने लिए कुछ करने की. ऐसे में श्रीकांत वापस हैदराबाद लौट आए.
करोड़ों की कंपनी के हैं मालिक
हैदराबाद आने के बाद उन्होंने बोलेंट इंडस्ट्रीज की स्थापना की, जिसमें करीब 10 करोड़ की लागत लगी. यह कंपनी इको-फ्रेंडली सामान बनाती है और यहां काम करने वाले सभी सदस्य दिव्यांग हैं. साल 2016 में वह इतने मशहूर हो गए कि रतन टाटा ने भी उनकी कंपनी में इन्वेस्ट किया. आज के समय में श्रीकांत बोल्ला करोड़ों की कंपनी के मालिक हैं और हर साल उनकी संपत्ति बढ़ रही है.