Pune Porsche Case: पोर्श कार केस में 17 साल का आरोपी हुआ रिहा, इस फैसले से छलका मृतक की मां का दर्द

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Pune Porsche Case: पुणे में नाबालिग लड़के की पोर्श कार से 19 मई को भीषण हादसा हो गया था। इस हादसे में दो इंजीनियर्स की मौत हो गई थी। जिनमें से एक लड़की अश्विनी कोष्टा थी और एक लड़का अनीश अवधिया। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने इस केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी नाबालिग लड़के तो रिहा करने का आदेश दिया है। इस फैसले ने मृतक बच्चों के परिवारों को तोड़कर रख दिया है। हाल ही में बेटी अश्विनी कोष्टा की मां ने कोर्ट के फैसले पर रिएक्शन देते हुए दर्द जाहिर किया है।

17 साल के आरोपी को रिहा करने का आदेश 

कोर्ट ने 17 साल के आरोपी को संप्रेक्षण गृह (Observation Home) से रिहा करने का आदेश दिया है और इस फैसले को सुनकर अश्विनी कोष्टा का परिवार स्तब्ध रह गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अश्विनी के की मां ममता कोष्टा ने कहा कि वो खबर देखकर हैरान रह गईं लेकिन उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने न्यायाधीशों से बेटी को खोने वाली एक मां के दर्द को समझने का अनुरोध किया है। उन्होंने आगे कहा कि ‘वहां कई लड़कियां रहती हैं और इस तरह के हादसे दोबारा ना हों इसलिए अपराध करने वालों को सबक सिखाना बेहद जरूरी है’। उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भरोसा जाहिर करते हुए कहा है कि उन्हें न्याय का आश्वासन मिला है।

पीठ ने क्या कहा? 

बता दें कि पुणे पोर्श एक्सिडेंट केस में न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मजूषा देशपांडे की पीठ ने कहा कि ‘हम कानून, ‘किशोर न्याय अधिनियम’ के लक्ष्यों और उद्देश्यों से बंधे हैं। पीठ ने ‘अपराध की गंभीरता’ को मानते हुए ये भी कहा था कि ‘किसी भी बच्चे को वयस्क से अलग मानते हुए कार्रवाई करनी चाहिए‘ अदालत ने आरोपी नाबालिग को पर्यवेक्षण गृह में भेजने के किशोर न्याय बोर्ड के आदेश को अवैध करार दिया था और उसे रिहा करने का आदेश जारी किया था।

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