Pradosh Vrat 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस व्रत का पौराणिक महत्व

प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पुण्यदायी और फलदायी व्रत माना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को आता है और विशेष रूप से मंगलवार, शनिवार अथवा सोमवार को आने वाला प्रदोष व्रत अधिक प्रभावशाली माना जाता है। 22 जुलाई 2025 को मंगलवार के दिन आने वाला यह प्रदोष व्रत "भौम प्रदोष व्रत" कहलाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखकर संध्या काल में शिव पूजन करने से सभी पापों का नाश होता है और सुख, शांति, संतान सुख तथा स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

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Pradosh Vrat 2025: शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत तिथि प्रारंभ: 22 जुलाई 2025 को प्रातः 03:28 बजे से

तिथि समाप्त: 23 जुलाई 2025 को प्रातः 01:12 बजे तक

पूजन का शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल): सायं 07:10 बजे से रात्रि 09:20 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार कुछ अंतर संभव है)

प्रदोष व्रत पूजा विधि

इस दिन प्रातः काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

दिनभर व्रत रखें — निर्जल या फलाहार रह सकते हैं।

संध्या काल में स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और शिव मंदिर जाएं या घर पर शिवलिंग का पूजन करें।

पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और गंगाजल) से शिवलिंग का अभिषेक करें।

बेलपत्र, धतूरा, भस्म, अक्षत, सफेद फूल आदि भगवान शिव को अर्पित करें।

घी का दीपक जलाकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और आरती करें।

अंत में भगवान शिव से परिवार की सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना करें।

Pradosh Vrat 2025 का आध्यात्मिक लाभ
इस व्रत को करने से जीवन में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, मानसिक शांति प्राप्त होती है और भक्तों को भगवान शिव की कृपा से सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है। विशेषकर भौम प्रदोष व्रत से मंगल ग्रह के दोष भी शांत होते हैं, जिससे विवाह, स्वास्थ्य और भूमि-संपत्ति से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है।

निष्कर्ष
22 जुलाई 2025 को आने वाला भौम प्रदोष व्रत शिव भक्तों के लिए अत्यंत शुभ अवसर है। इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।

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