PM Modi’s ‘Mission Champaran’: मोतिहारी से विकास की सौगात, 2025 चुनाव में 21 सीटों पर फोकस

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की हलचल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मिशन चंपारण' के तहत राज्य की सियासत में नई जान फूंक दी है। शुक्रवार को मोतिहारी से पीएम मोदी ने 7217 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति और मजबूत करने के लिए कसर नहीं छोड़ना चाहती।

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PM Modi’s ‘Mission Champaran’: इस दौरे को महज एक सरकारी कार्यक्रम न मानते हुए राजनीतिक विश्लेषक इसे मिशन चंपारण की शुरुआत मान रहे हैं। चंपारण क्षेत्र, खासकर पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, को बीजेपी का परंपरागत गढ़ माना जाता है। 2019 के लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां बीजेपी को शानदार सफलता मिली थी, जिसे 2025 में दोहराने के लिए यह रणनीतिक दांव चलाया गया है।

क्या है ‘मिशन चंपारण’?
‘मिशन चंपारण’ दरअसल बिहार के उत्तर-पश्चिमी हिस्से, खासकर चंपारण क्षेत्र की 21 विधानसभा सीटों को साधने की रणनीति है। इन क्षेत्रों में मतदाताओं का झुकाव पारंपरिक रूप से बीजेपी की ओर रहा है। पीएम मोदी ने इस दौरे में जिन परियोजनाओं की सौगात दी, उनमें कृषि, स्वास्थ्य, सड़क, रेल, जलापूर्ति और डिजिटल कनेक्टिविटी से जुड़ी योजनाएं प्रमुख हैं।

विकास और गांधी जुड़ाव की रणनीति
चंपारण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से भी बीजेपी इस मिशन को जोड़ रही है। यहीं से महात्मा गांधी ने अपने सत्याग्रह की शुरुआत की थी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में गांधी जी के चंपारण आंदोलन की याद दिलाते हुए कहा कि “आज हम उसी धरती से गरीबों के विकास और आत्मनिर्भरता की नई क्रांति की शुरुआत कर रहे हैं।”

PM Modi’s ‘Mission Champaran’: चुनावी समीकरण साधने की कोशिश
बीजेपी के लिए चंपारण क्षेत्र सिर्फ एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक क्षेत्र नहीं, बल्कि सियासी दृष्टिकोण से बेहद अहम है। यहां की 21 विधानसभा सीटें बिहार की सत्ता की चाबी मानी जाती हैं। केंद्र सरकार की योजनाओं की सौगात देकर पार्टी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है।

निष्कर्ष:
‘मिशन चंपारण’ के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए बीजेपी की तैयारियां जोरों पर हैं। विकास के एजेंडे के साथ ऐतिहासिक विरासत को जोड़कर पार्टी राज्य में सशक्त वापसी की रणनीति पर काम कर रही है। मोतिहारी से दी गई यह सौगात आने वाले चुनावों में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।

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