भारत के एक महाराजा को पौलैंड में पूजते हैं लोग, उसी देश गए हैं PM Modi

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PM Narendra Modi in Poland: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इन दिनों पोलैंड के दौरे पर हैं। बता दें कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को 70 साल हो गए हैं। भारत और पोलैंड के बीच गहरे रिश्ते हैं। जी हां, इतने गहरे कि पोलैंड के लोग भारत के एक महाराजा की पूजा करते हैं। राजधानी वारसॉ के बीच में ‘गुड महाराजा स्क्वायर’ भी है। पीएम मोदी वहां भी जाएंगे। ऐसे समय में पोलैंड के लोगों को एक बार फिर वो घटना याद आ रही है। ये दूसरे विश्व युद्ध के समय की बात है।

खतरे में थी पोलैंड में बच्चों की जान

जब हिटलर ने पोलैंड पर हमला किया तो वहां के सैनिकों ने महिलाओं और बच्चों को जहाज पर बिठाकर रवाना कर दिया। उम्मीद थी कि उन्हें किसी देश में शरण मिल जाएगी और वो बच जाएंगे। फिर जहाज भटकता हुआ गुजरात के जामनगर पहुंच गया। रास्ते में किसी देश ने शरण नहीं दी, तब महाराजा दिग्विजय सिंह रणजीत सिंह जी ने इन पोलिश लोगों को शरण दी। उन्होंने कई सालों तक सैकड़ों बच्चों की देखभाल की। ​​इन्हीं शरणार्थी बच्चों में से एक बाद में पोलैंड का प्रधानमंत्री बना।

इस वजह से पूजे जाते हैं महाराजा दिग्विजय सिंह जडेजा

वो जामनगर, गुजरात के महाराजा दिग्विजय सिंह जडेजा थे। उन्होंने एक निडर निर्णय लिया और पोलैंड के लोगों को अपने राज्य में शरण दी। उनमें से ज़्यादातर बच्चे और महिलाएं थीं। महाराजा ने 1942 से 1946 तक पोलैंड से सैकड़ों मील दूर अपने राज्य में हज़ारों पोलिश बच्चों को सुरक्षित रखा। आज पोलैंड में 8 स्कूलों का नाम जाम साहब के नाम पर रखा गया है। महाराजा का नाम कई जगहों पर देखा जा सकता है। हर जगह लिखा है- दयावान महाराजा की श्रद्धांजलि में कृतज्ञ पोलैंड राष्ट्र।

भारत में पोलैंड के एक पूर्व राजदूत ने भी महाराजा के नाम पर बने स्कूल में पढ़ाई की थी। पोलैंड के लोग जामनगर के महाराजा का इतना सम्मान करते हैं कि वो उनकी तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनते हैं। वारसॉ में रहने वाले पोलिश नागरिक वर्थो ने कहा कि उन्होंने यह टी-शर्ट इसलिए पहनी क्योंकि वो महाराजा को याद रखना चाहते थे। वो विश्व युद्ध के दौरान जो कुछ हुआ उसकी यादों को जिंदा रखना चाहते थे। इस तरह वो अगली पीढ़ी को बताना चाहते थे कि कैसे एक भारतीय महाराजा ने जरूरत के वक्त मानवता दिखाई।

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