NCERT Book History Changed: मुगलों को ‘लुटेरा’, ब्रिटिश राज को ‘भारत का दोहनकर्ता’ बताया गया

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा 2025-26 सत्र के लिए कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक ने इतिहास की व्याख्या को लेकर बड़ा बदलाव किया है। इस बार मुगल शासकों जैसे बाबर, अकबर और औरंगज़ेब को “क्रूर शासक” और “भारत को लूटने वाले” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे शिक्षा जगत और समाज में तीव्र बहस शुरू हो गई है।

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NCERT Book History Changed: अकबर का शासन: सहिष्णुता या क्रूरता?
नई किताब के अनुसार, अकबर के शासन को “क्रूरता और सहिष्णुता” का मिश्रण बताया गया है। विशेष रूप से चित्तौड़गढ़ किले की घेराबंदी का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि 25 वर्ष की उम्र में अकबर ने लगभग 30,000 आम नागरिकों की हत्या और महिलाओं तथा बच्चों को गुलाम बनाने का आदेश दिया था। किताब में अकबर के पत्रों के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने इस्लाम को स्थापित करने के लिए “काफिरों के मंदिरों को नष्ट कर दिया और पूरे हिंदुस्तान में धार्मिक प्रतीकों को मिटा दिया।” हालांकि, बाद में उनके शासन को शांति की ओर झुकाव रखने वाला भी बताया गया है।

औरंगज़ेब और धार्मिक उत्पीड़न
पाठ्यपुस्तक के अनुसार, औरंगज़ेब ने स्कूलों और मंदिरों को तोड़ने के लिए फरमान जारी किए थे। बनारस, मथुरा, सोमनाथ जैसे धार्मिक स्थलों के साथ-साथ जैन मंदिरों और सिख गुरुद्वारों को भी निशाना बनाया गया था। साथ ही, सूफियों और पारसियों पर भी अत्याचार की घटनाओं का ज़िक्र किया गया है।

औपनिवेशिक शोषण: ब्रिटिश राज का काला सच
किताब में ब्रिटिश शासन को “भारत की संपत्ति का दोहन करने वाला” बताया गया है। एक अध्याय में कहा गया है कि ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति “भारत से चुराए गए धन” के कारण संभव हुई। यह विचार प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार विल ड्यूरांट के हवाले से प्रस्तुत किया गया है।

NCERT Book History Changed: उत्तराखंड सरकार की नई पहल
इसी बीच, उत्तराखंड सरकार ने एनसीईआरटी को निर्देश दिया है कि राज्य के 17,000 सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में भगवद गीता और रामायण को शामिल किया जाए।

निष्कर्ष
एनसीईआरटी की इस नई पहल से पाठ्यक्रम में ऐतिहासिक घटनाओं की नई व्याख्या सामने आई है, लेकिन यह कदम शैक्षिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर व्यापक बहस का कारण बन सकता है। इतिहास को किस दृष्टिकोण से पढ़ाया जाए, यह आज के भारत में एक संवेदनशील और निर्णायक प्रश्न बन चुका है।

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