हर त्योहार को मनाने के पीछे कोई ना कोई मकसद ज़रूर होता है लेकिन आज हम आपको बताएंगे गंगा दशहरा के बारे में जिसे इस साल 30 मई को मनाया जाएगा। इसे क्यों मनाया जाता है आइए जानते हैं…
पाप से मुक्ति के लिए करें गंगा पूजन
सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी गंगा को धरती पर अवतार दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी पर अवतार से पहले गंगा नदी स्वर्ग का हिस्सा थी। गंगा दशहरा के दिन भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं और दान-पुण्य, उपवास, भजन और गंगा आरती का आयोजन करते हैं। मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। हिन्दू धर्म में तो गंगा को देवी मां का दर्जा दिया गया है। यह माना जाता है कि जब मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं तो वह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी, तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। वर्तमान समय में भौतिक जीवन जी रहे मनुष्य से जाने अनजाने जो पाप कर्म हो जाते हैं उनकी मुक्ति के लिए मां गंगा की साधना करनी चाहिए। कहने का तात्पर्य है जिस किसी ने भी पापकर्म किए हैं और जिसे अपने किए का पश्चाताप है और इससे मुक्ति पाना चाहता है तो उसे सच्चे मन से मां गंगा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
पवित्र नदियों में से एक है मां गंगा
दुनिया की सबसे पवित्र नदियों में एक है गंगा। गंगा के निर्मल जल पर लगातार हुए शोधों से भी गंगा विज्ञान की हर कसौटी पर भी खरी उतरी विज्ञान भी मानता है कि गंगाजल में कीटाणुओं को मारने की क्षमता होती है जिस कारण इसका जल हमेशा पवित्र रहता है। हमारी सनातन संस्कृति में गंगा को मां का स्थान दिया गया है। सदियों से समस्त मानव समाज इस मां रूपी पवित्र जल का उपयोग करता है और हमें इसके लिए अपनी गंगा मां का कर्ज़दार होना चाहिए किन्तु पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश में विकास के नाम पर जिन प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया गया है, उनमें गंगा नदी-जल के साथ कई प्रदूषित तत्व मिलाए गए और मिलाए जा रहे हैं।
जलधारा ही नहीं जीवनदायिनी है गंगा
हमें समझने की आवश्यकता है कि गंगा केवल जलधारा ही नहीं अपितु जनजीवन और लोक-संस्कृति का अभिन्न अंग है। गंगा सभ्यताओं एवं संस्कृतियों के साथ-साथ विकास की भी जननी रही है। वर्तमान समय में जल संकट एक गंभीर समस्या है। देश के कई राज्यों में ग्रीष्मकालीन समय आते ही यह भयावह होने लगता है क्योंकि हमने अपनी बूँद-बूँद सहेजने वाली पूर्वजों की जल-संस्कृति को तिलांजलि दे दी है वर्तमान समय में जल की दोहरी समस्या है एक तो पर्याप्त मात्रा में पेयजल बचा नहीं है और जो बचा हुआ है उसका रूप-रंग और स्वाद तेजी से बदल रहा है और इन परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार एकमात्र इंसान है और हमें इस बात को गम्भीरता से समझना होगा।
क्या आप जानते हैं मान्यता तो ये भी है कि गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। इसलिए एक बात ध्यान रखें गंगा जी में एक डुबकी तो ज़रूर लगाएं ताकि सारे पापों का नाश हो जाए और आपका जीवन सफल हो जाए।